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कच्चातिवु द्वीप पर दोबारा कब्जे से, हल होगी भारतीय मछुआरों की समस्या                               ********************now7news

       (चेन्नई): तमिलनाडु से कुछ दूरी पर स्थित कच्चातिवु द्वीप को लेकर सियासत गरमा गई है। एक आरटीआई के जवाब में सामने आया है। कि 1974 में एक समझौते के तहत भारत सरकार ने कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। लेकिन इससे भारतीय मछुआरों के लिए एक बड़ी समस्या भी खड़ी हो गई।

     भारत और श्रीलंका के बीच पड़ने वाले कच्चातिवु द्वीप को लेकर राजनीति तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “X” पर लिखा, “कांग्रेस ने जानबूझकर कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया था। इसे लेकर भारतीयों में गुस्सा है, और इस बार फिर ये बात साफ हो गई है, कि कांग्रेस पर भरोसा नहीं किया जा सकता.।”

      तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने एक RTI दायर की थी। इसके जवाब में सामने आया है, कि 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार और श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के बीच एक समझौता हुआ था। समझौते के तहत, भारत ने कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था।

    पीएम मोदी ने जब सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, तो उसके बाद इस पर सियासत तेज हो गई। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि समझौते के तहत, श्रीलंका से 6 लाख तमिलों को भारत वापस लाया जा सका था।

   कच्चातिवु तमिलनाडु के रामेश्वरम से 25 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित एक टापू है। 1974 के समझौते के बाद ये द्वीप श्रीलंका के पास चला गया था। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा भी तय कर दी थी। फिलहाल आधिकारिक रूप से भारत और श्रीलंका के बीच कोई सीमा विवाद नहीं है, लेकिन फिर भी ये द्वीप कैसे दोनों देशों के बीच अड़चन बना हुआ है?

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