छत्तीसगढ़

आज की बात मेरे साथ… अंकिता तिवारी…

अंकिता तिवारी, मातृशक्ति, विश्व हिंदू परिषद्, मीडिया प्रभारी:

पिछले कुछ दिनों से चुनावी माहौल की इस चिलचिलाती धूप भरी गर्मी के चलते एक विषय बहुत ज्यादा तेजी से राजनीतिक माहौल में बड़ी तेज गति से अपने पैर पसारता जा रहा है।

विषय यह है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पूर्व महामंत्री अरुण सिंह सिसोदिया जो कि न सिर्फ छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पूर्व महामंत्री हैं बल्कि एक जाने-माने गो जन अधिकार परिषद के अध्यक्ष भी हैं ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर कई बड़े-बड़े आरोप लगाते हुए 5 साल की छत्तीसगढ़ कांग्रेस के विरुद्ध पूरे दस्तावेज लेकर दिल्ली की आल्हा कमान के पास जाने का निर्णय किया है।

प्रमुख विषयों में से एक विषय यह भी है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने राजनीतिक सलाहकार विनोद शर्मा के बेटे की कंपनी टेसू मीडिया लैब गाजियाबाद को 5 करोड़ 89 लख रुपए का भुगतान छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल के साथ मिलकर प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम का प्रभारी महामंत्री की जानकारी व अनुमति के बिना किया,जिसे सीधा-सीधा कांग्रेस पार्टी के कोष के साथ खिलवाड़ बताया जा रहा है, यहां विशेष रूप से बताना आवश्यक है कि किसी भी सरकार के पास कोष तब आता है जब जनता प्रत्येक वस्तु और सेवाओं के कारों का वहन करती है अर्थात् सीधे-सीधे यह पैसा जनता की गाड़ी कमाई से करों के रूप में वसूला जाता है।

अर्थात यह 5 करोड़ 79 लाख रुपए का कोष प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनता के ही कमाई का धन था, जिसका छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पूर्व महामंत्री माननीय अरुण सिंह सिसोदिया के अनुसार छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गबन किया है।

ध्यान आकर्षित करने का विषय दूसरा मुद्दा भी है कि यहां लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के जिले के दिग्गज कार्यकर्ताओं की अनदेखी लोकसभा चुनाव के टिकट आवंटन के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा की गई है, ऐसा स्वयं छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पूर्व महामंत्री अरुण सिंह सिसोदिया का कहना है।

उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि छत्तीसगढ़ के दिग्गज नेताओं जैसे पूर्व ताम्रध्वज साहू को महासमुंद से लोकसभा का टिकट का दिया जाना, देवेंद्र यादव जो वर्तमान समय में भिलाई नगर के विधायक हैं को बिलासपुर से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया जाना, यह सब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की हार के गड्ढे को खाई में बदल देने जैसा है।

अर्थात् महासमुंद के किसी दिग्गज नेता को महासमुंद जिले से टिकट दिया जाना चाहिए था और बिलासपुर के किसी विख्यात दिग्गज नेता को बिलासपुर से टिकट दिया जाना चाहिए था जिससे कांग्रेस की हार का गड्ढा कम से कम खाई में तो ना बदलता परंतु भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की लोकसभा चुनाव में हार को चुनाव से पूर्व ही सुनिश्चित कर दिया तथा भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विदित विजय को सजी सजाई थाली में इस तरह परोस कर दे दिया जैसे मानो घर में आए दामाद की थाली में पूरे व्यंजन परोसे जाते हैं।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के पूर्व महामंत्री अरुण सिंह सिसोदिया द्वारा उठाया हुआ तीसरा विषय यह है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को ही स्लीपर सेल का नाम दिया गया है।

यह दृष्टिगोचर करना आवश्यक है कि स्लीपर सेल उन व्यक्तियों को कहा जाता है जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त होते हैं। यह जानकारी भी छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पूर्व महामंत्री अरुण सिंह सिसोदिया के द्वारा दी गई है।

ध्यानाकर्षण का विषय यह है की कोई भी व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में ऐसी अनुचित शब्दों का उपयोग किसी अन्य व्यक्ति के लिए नहीं कर सकता परंतु विडंबना यह है कि हमारे छत्तीसगढ़ के ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी ही पार्टी के पूर्व महामंत्री माननीय अरुण सिंह सिसोदिया तथा अन्य ऐसे कार्यकर्ताओं जो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नीतियों तथा कार्य करने के तरीकों का विरोध करते हैं, के विषय में इस तरह के गलत शब्दों का उपयोग करते हैं तो यह सोचने की आवश्यकता है की क्या पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मुख्यमंत्री तो दूर एक सामान्य कार्य करता के दायित्व में पदस्थ होने के भी योग्य है या नहीं।

सोचने का विषय यह भी है कि कांग्रेस पार्टी जिसके विषय में आम जनमानस के बीच में यह पूर्व विदित है कि यह पार्टी लोकसभा चुनाव हार चुकी है को हराने के लिए स्वयं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जो स्वयं कांग्रेस पार्टी की ओर से ही मुख्यमंत्री बने थे तथा स्वयं अभी भी पाटन के विधायक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और स्वयं भी लोकसभा चुनाव राजनांदगांव की सीट से लड़ रहे हैं, खुद ही अपनी पार्टी की चिर परिचित हार को सुदृढ़ बनाने तथा उसमें मिल का पत्थर ठोकने के लिए क्यों आमादा हैं।

गौरतलब यह भी है कि कांग्रेस के पूर्व महामंत्री अरुण सिंह सिसोदिया ने एआईसीसी चीफ मल्लिकार्जुन खरगे को शिकायती चिट्ठी लिखी है और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा दीपक बैज के ऊपर कार्यवाही की मांग की है।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पूर्व महामंत्री अरुण सिसोदिया ने स्वयं कहा कि मैं कांग्रेस के गद्दार नेता वह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अनुशासनहीनता के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है क्योंकि भूपेश बघेल ने स्लीपर से शब्द का उपयोग अपने कार्यकर्ताओं के लिए किया है जो अमार्यादित भी है और अलोकतांत्रिक भी, यह कांग्रेस के ऐसे सभी कार्यकर्ताओं का अपमान है जिन्होंने सरकार के ऊपर किसी भी तरह की टिप्पणी की है, जिसके विरुद्ध पूर्व महामंत्री अरुण सिंह सिसोदिया एआईसीसी के मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ के ही वेणुगोपाल तथा छत्तीसगढ़ के प्रभारी सचिन पायलट से मुलाकात करेंगे।

कुल मिलाकर सीधी सीधी बात यह है कि कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती ही चली जा रही हैं जहां एक और कांग्रेस के कई दिग्गज नेता बीजेपी की ओर अपना रुख कर रहे हैं वही जैसा कि पूर्व विदित भी था कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी बिना लड़े ही लोकसभा चुनाव एक तरफ जीत रही है।

यहां यह बताना भी आवश्यक है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व महामंत्री अरुण सिंह सिसोदिया न केवल कांग्रेस पार्टी से संबंध रखते हैं बल्कि एक भूतपूर्व सैनिक तथा एक सुप्रसिद्ध एनजीओ जन अधिकार परिषद के भी अध्यक्ष हैं और समाज के प्रति अपनी सेवाएं लगभग 15 वर्षों से मैंने स्वयं उनको देते देखा है क्योंकि जब जन अधिकार परिषद नामक संस्था का आरंभ हुआ था उस समय से मैंने स्वयं अरुण सिंह सिसोदिया के साथ काम किया है तो मैं अरुण सिंह सिसोदिया को न सिर्फ एक भूतपूर्व सैनिक के रूप में बल्कि एक समाज सेवी के रूप में भी अपनी सेवाएं देते देखती आई हूं।

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