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शारदीय नवरात्रि के पहले दिन बना शुभ संयोग, जानें कलश स्थापना का मुहूर्त

 

इस वर्ष 26 सितंबर, सोमवार से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि शुरू होकर 5 अक्तूबर को दशहरा पर समापन होगा। शक्ति आराधना के लिए नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व होता है। एक वर्ष में चार नवरात्रि का पर्व आता है जिसमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि का खास महत्व होता है। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। इस बार शारदीय नवरात्रि पूरे 9 दिनों की रहेगी और माता दुर्गा स्वर्गलोक से गज की सवारी करते हुए पूरे नौ दिनों तक अपने भक्तों के बीच रह कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करेंगे। इस बार शारदीय नवरात्रि पर घटस्थापना के दिन बेहद ही शुभ और दुर्लभ योग बन रहा है।

नवरात्रि पर मां दुर्गा की विशेष पूजा-आराधना और साधना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन मां के नौ स्वरूपों का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि तिथि पर कलश स्थापना के साथ मां शक्ति की आराधना का महापर्व शुरू हो जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक लगातार हवन,पूजा और धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं फिर दशहरे के दिन मां की विदाई की जाती है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना पर बहुत ही दुर्लभ योग बन रहा है।  नवरात्रि के पहले दिन शुक्ल व ब्रह्म योग का अद्भभुत संयोग बनने के कारण इसे बेहद खास माना जा रहा है। इस साल नवरात्रि पर माता रानी हाथी की सवारी से पृथ्वी पर आगमन करेंगी। मां की सवारी को बेहद शुभ माना जा रहा है।

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा
शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू होकर 05 अक्टूबर तक चलेगा। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-आराधना की जाती है। मां पार्वती माता शैलपुत्री का ही रूप हैं और हिमालय राज की पुत्री हैं। माता शैलपुत्री नंदी की सवारी करती हैं। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। नवरात्रि के पहले दिन लाल रंग का महत्व होता है। यह रंग साहस,शक्ति और कर्म का प्रतीक है।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 2022
26 सितंबर,सोमवार 2022
घटस्थापना मुहूर्त: प्रातः 06.11 से प्रातः  07.51 मिनट तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:54 से दोपहर 12:42 तक

आश्विन माह शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ विधिवत शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो जाएंगे। कलश स्थापना की तैयारी एक दो दिन पहले से ही होनी शुरू हो जाती है। माता के स्वागत की तैयारी और उनकी पूजा के लिए कई तरह की पूजन सामग्रियों की जरूर होती है। जिसमें मुख्य रूप से मिट्टी का बर्तन,कलश, सूखा नारियल, माता के श्रृंगार की सामग्री, चुनरी,सात तरह के अनाज,कलावा, गंगाजल, अशोक या आम के पत्ते, नारियल,फूल और माला,लाल रंग का कपड़ा,मिठाई,सिंदूर और दूर्वा।
घटस्थापना पूजा विधि
– सबसे पहले प्रतिपदा तिथि पर सुबह जल्दी स्नान करके पूजा का संकल्प लें।
– फिर इसके बाद पूजा स्थल की सजावट करें और चौकी रखें जहां पर कलश में जल भरकर रखें। इसके बाद कलश को कलावा से लपेट दें।
– फिर कलश के ऊपर आम और अशोक के पत्ते रखें।
– इसके बाद नारियल को लाल कपड़े से लपटे कर कलश के ऊपर रख दें।
– इसके बाद धूप-दीप जलाकर मां दुर्गा का आवाहन करें और शास्त्रों में मां दुर्गा के पूजा-उपासना की बताई गई विधि से पूजा प्रारंभ करें।

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