छत्तीसगढ़ में पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश से जल्द ही आने वाले हैं तीन नए बाघ
रायपुर
पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश से तीन बाघ जल्द ही आने वाले हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) छत्तीसगढ़ को तीन बाघ देने की अनुमति दे चुका है। अपने राज्य का वन विभाग जल्द ही तीन बाघ लेकर आने वाला है। उन बाघों को अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा। उनमें एक मेल और दो फिमेल हैं।
वन विभाग के अफसरों ने बताया कि बारिश के समय एक-एक करके बाघ लाए जाएंगे। तीनों को एकसाथ नहीं लाया जाएगा। अभी अचानकमार के जंगल से लगे कई गांवों को विस्थापित किया जा रहा है। इसके अलावा इस क्षेत्र के ग्रामीणों से राय भी ली जा रही है। सब कुछ ठीक रहा तो जुलाई-अगस्त से बाघ लाने का प्रयास किया जाएगा। अफसरों का कहना है कि तीन बाघ एक वर्ष के अंदर ही लाए जाएंगे।
राष्ट्रीय स्तर पर किए गए आकलन के अनुसार देशभर में 51 टाइगर रिजर्व हैं। छत्तीसगढ़ में तीन टाइगर रिजर्व अचानकमार, उदंती-सीतानदी और इंद्रावती हैं। ये रिजर्व कुल मिलाकर 5,500 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में फैले हुए हैं।
बाघों के संरक्षण में हर माह पांच करोड़ खर्च
प्रदेश में बाघों के संरक्षण पर एक माह में पांच करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं यानी हर साल 60 करोड़ रुपये खर्च। यह राशि बाघों के संरक्षण, उनके लिए बेहतर सुविधाएं विकसित करने के लिए जंगलों में वृद्धि और शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ाने पर खर्च की गई थी।
यहां बाघों की स्थिति ठीक नहीं
छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या संतोषजनक नहीं है। एनटीसीए की रिपोर्ट 2022 में 17 बाघों की जानकारी सामने आई है। इधर बाघों की संख्या घटने के बाद प्रदेश के वन विभाग ने अब मिशन मोड पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए पड़ोसी राज्यों से संपर्क साधकर बाघ देने की गुहार लगा रहे हैं।
संरक्षक वन्यप्राणी एवं जैव विविधता संरक्षण के प्रधान मुख्य वन सुधीर अग्रवाल ने कहा, बारी-बारी से मध्य प्रदेश से तीन बाघ लाए जाएंगे। इन बाघों को अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा। अभी वहां गांववालों को विस्थापित किया जा रहा है। एनटीसीए से अनुमति मिल गई है।
पड़ोसी राज्यों में इतने हैं बाघ
राज्य बाघों की संख्या
मध्य प्रदेश 785
महाराष्ट्र 444
उत्तराखंड 560
बिहार 54
आंध्र प्रदेश 63
उत्तर प्रदेश 205
तेलंगाना 21
ओडिशा 20
सर्वे रिपोर्ट वर्ष बाघों की संख्या
2006 26
2010 26
2014 46
2018 19
2022 17
(एनटीसीए की ओर से जारी पिछले कई वर्ष के आंकड़े)