मध्यप्रदेश

चुनाव नतीजों की बाद प्रदेश की जनता पर TAX का बढ़ेगा ‘डबल’ बोझ

भोपाल.
मध्य प्रदेश के लिए बड़ी खबर है. लोकसभा चुनाव के बाद आपकी जेब पर जबरदस्त भार पड़ने वाला है. सरकार प्रदेश में प्रॉपर्टी टैक्स, कचरा प्रबंधन, सीवेज और पानी का शुल्क बढ़ाने की तैयारी कर रही है. प्रॉपर्टी टैक्स में वृद्धि कचरा प्रबंधन, सीवेज और पानी के शुल्क में होने वाली बढ़ोतरी से अलग होगी. सरकार कचरा प्रबंधन, सीवेज और पानी पर जितना खर्च करती है, उसी अनुपात में इसका शुल्क बढ़ाएगी. जबकि, प्रॉपर्टी टैक्स कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से बढ़ाया जाएगा. कलेक्टर गाइडलाइन के मुताबिक दो सालों में जितना प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ाया गया है उसी के मुताबिक नया टैक्स निर्धारित किया जाएगा. सरकार ने इसके लिए अलग योजना बना रखी है.

बताया जाता है कि सरकार हर निकाय के महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष के साथ बैठक करेगी. इसमें वह इन पदाधिकारियों को कहेगी कि वे जनता को टैक्स बढ़ाने के लिए राजी करें. सरकार ने इसकी शुरुआत कर भी दी है. उसने इस नए टैक्स की शुरुआत इंदौर नगर निगम से की है. यहां प्रॉपर्टी टैक्स में वृद्धि कर दी गई है. यह वृ्द्धि करने के लिए नगर निगम ने एक पुराने फैसले को आधार बनाया है. अब चुनाव के परिणामों के बाद पूरे प्रदेश के निकाय टैक्स में वृद्धि का प्रस्ताव लाएंगे. नगर निगम जनता को यह कहकर मनाएगी इस बढ़े हुए टैक्स का इस्तेमाल प्रदेश के विकास में होगा.

100 फीसदी खर्च जनता से वसूलें
 केंद्रीय शहरी मंत्रालय ने साल 2020 में विशेष निर्देश जारी किए थे. मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों से कहा था कि पानी और सीवेज का सौ फीसदी खर्च जनता से वसूला जाए. मंत्रालय ने कहा था कि अगले तीन साल में यूजर चार्ज यानी पानी, सीवेज और सफाई का खर्च जनता से ही लें. ये निर्देश मिलने के बाद सरकार ने नगर निकायों को तीन साल का स्लैब भी बनाकर दिया था. केंद्र ने यूजर चार्ज को 15वें वित्त आयोग से जोड़ दिया है. इसी मसले पर आयोग ने गाइडलाइन भी तय कर दी. आयोग ने जो कहा कि जो निकाय यूजर चार्ज बढ़ाएंगे उन्हें यहां से ज्यादा अनुदान मिलेगा.

केंद्र ने इस बात से कर दिया था इनकार
गौरतलब है कि केंद्रीय शहरी विकास सचिव अनुराग जैन
ने भोपाल में केंद्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा की थी. इस दौरान उन्होंने पेयजल योजनाओं के लिए नगरीय निकायों को संचालन और संधारण की राशि देने से इनकार कर दिया था. उन्होंने बैठक में साफ कह दिया था कि अब निकायों को आत्मनिर्भर होना होगा. उनकी इसी बात पर नगरीय विकास विभाग नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषदों को यूजर चार्ज की वसूली जनता से करने के निर्देश दे रहा है.

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