धर्म

भूमि आकार का महत्व: समृद्धि का निर्धारण

वास्तु शास्त्र के अनुसार गृह निर्माण में प्रकृति का सामंजस्य बना रहना चाहिए। वास्तु शास्त्र में जमीन में वास्तु पुरुष के निवास की कल्पना की गयी है। वास्तु पुरुष के सभी अंग आराम से वर्गाकार जमीन में समा जाते हैं। जमीन का किसी तरफ से छोटा या बड़ा, कटा होना, इस बात का संकेत करता है कि वास्तु पुरुष का वह हिस्सा गायब है। आप स्वयं विचार करें कि आपके शरीर का कोई हिस्सा गायब हो, तो कैसा कष्ट होगा। जिस प्रकार से आपके शरीर के संचालन के लिए शरीर के सभी अंगों को सही होना चाहिए, उसी प्रकार से सही ऊर्जा प्राप्त करने के लिए, वास्तु पुरुष के सभी अंगों को पूरा होना चाहिए।

इस कारण से, वर्गाकार, आयताकार, या समान आकार की जमीन एवं निवास स्थल सही माने जाते हैं। टेढ़ा-मेढ़ा या कटी जमीन अशुभ होती हैं। मकान के किसी हिस्से का कटाव, उसके निवासियों के लिए अशुभ एवं कष्टदायी होता है। वैसे भूमि का चयन इतना आसान नहीं है, जितना कि लोग समझते हैं। जमीन खरीदते यह ध्यान देना चाहिए कि भूखण्ड, आवासीय कतार में आखिरी जमीन न हो, आसपास कोई शमशान, अस्पताल, गन्दा नाला, मंदिर, मस्जिद, कसाई खाना, बिजली के ट्रांसमिशन की लाइन के पोल, टेलीफोन का खम्भा आदि आस-पास न हो। जमीन के आकार निम्न प्रकार के हो सकते हैं-

आयताकार समकोण भूमि – जिस भूमि की आमने-सामने की भुजायें तथा चारो कोण समान हो, उसे आयताकार समकोण भूमि कहते हैं। आयताकार जमीन में चौड़ाई से दुगुनी अधिक लम्बाई नहीं होनी चाहिए। जमीन की लम्बाई उत्तर-दक्षिण दिशा से पूरब-पश्चिम दिशा की ओर अधिक होनी अच्छी होती है। आयताकार जमीन पर मकान बनवाने से इंसान पूर्ण सफलता को प्राप्त करता है। यह भी अनुभव किया गया है कि जमीन के आयताकार होने से मकान निर्माण का कार्य बिना किसी समस्या से समय से पूरा हो जाता है।

 वर्गाकार समकोण जमीन – जिस जमीन की लम्बाई-चौड़ाई समान हो, उसे वर्गाकार जमीन कहते हैं। इस प्रकार की भी जमीन लाभप्रद होती है।

वृत्ताकार जमीन – गोल आकार वाली जमीन को वृत्ताकार जमीन कहते हैं। ऐसी भूमि श्रेष्ठ तथा दुर्लभ मानी जाती है। लेकिन वृत्ताकार जमीन पर मकान को भी वृत्ताकार बनवाना होगा, नहीं तो वृत्ताकार भूमि पर आयताकार या वर्गाकार मकान बनवाना अशुभ होता है।

 तीन कोने वाली जमीन – ऐसी जमीन घर में राज-भय, संतान की हानि, दुखदायी होती है। पांच कोने वाली जमीन विनाशकारी होती है। छः कोने वाली जमीन घर में क्लेश, वंशनाश कराती है। सात कोने वाली जमीन अशुभ फल देती है।

जमीन का कौन सा कोना/हिस्सा कटा या बढ़ा हुआ है इसी के आधार पर जमीन के बारे में निर्णय लिया जाता है कि जमीन शुभ है या अशुभ। भवन के किसी भी कोने का कटाव, उसमें रहने वालों के लिए सही नहीं होता है। केवल पूर्वी आग्नेय तथा उत्तरी वायव्य कोण के कटे हुए हिस्से शुभ होते हैं, क्योंकि इससे ईशान कोण में वृद्धि हो जाती है, जो कि शुभ होता है। अगर घर बढ़ाने की इच्छा हो तो चारों ओर बराबर-बराबर बढ़ाना चाहिए। पूर्व एवं उत्तर दिशा को छोड़ करके, एक ही ओर मकान को न बढ़ावें। यदि घर के समीप अतिरिक्त जमीन खरीदने की इच्छा हो तो घर के पूर्व, उत्तर अथवा ईशान कोण के तरफ ही केवल जमीन या मकान खरीदें।

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