मध्यप्रदेश

हाई कोर्ट ने मप्र लोक सेवा आयोग से मांगा जवाब, आरक्षण के आधार पर कैसे जारी किया पात्रता परीक्षा का परिणाम

जबलपुर.
हाई कोर्ट ने मप्र लोक सेवा आयोग से पूछा है कि आरक्षण के आधार पर पात्रता परीक्षा यानी स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट (सेट) का परिणाम क्यों जारी किया गया। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने आयोग के चेयरमैन को जवाब पेश करने के निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई 22 मई को होगी।

रीवा निवासी शिवेन्द्र कुमार की ओर से याचिका दायर कर बताया गया कि उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया था। उसके लिए सेट एक अनिवार्य पात्रता परीक्षा है, जिसे उत्तीण करना जरूरी है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश सिंह चौहान ने दलील दी कि लोक सेवा आयोग ने सेट का रिजल्ट 87:13 के अनुपात में जारी किय। आयोग ने सामान्य व ओबीसी वर्ग के 13 प्रतिशत रिजल्ट रोक दिए। इस वर्गीकृत परिणाम के कारण कई योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए।

सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि आरक्षण के आधार पर पात्रता परीक्षा का रिजल्ट जारी नहीं किया जा सकता। देश के किसी भी पात्रता परीक्षा जैसे नेट, जेआरएफ आदि का परिणाम वर्गीकरण के आधार पर जारी करना अवैधानिक है। आयोग ने ऐसा करते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर व लायब्रेरियन की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे कई उम्मीदवार प्रभावित हैं।

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