मध्यप्रदेश

संवर्ग बनने के लगभग ढाई वर्ष बाद भी अभी 52 में से मात्र 28 जिलों में ही स्थायी सीएमएचओ, बाकी 24 जिलों में प्रभारी

भोपाल
राज्य सरकार ने वर्ष 2022 में लोक स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन संवर्ग बनाकर सभी जिलों में स्थायी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) सहित अन्य प्रशासनिक पदों पर स्थायी अधिकारी पदस्थ करने की व्यवस्था की थी। संवर्ग बनने के लगभग ढाई वर्ष बाद भी अभी 52 में से मात्र 28 जिलों में ही स्थायी सीएमएचओ इस संवर्ग से पदस्थ किए जा सके हैं। बाकी 24 जिलों में प्रभारी हैं।

सरकार ने लोक स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन संवर्ग से सीएमएचओ बनाने के लिए 18 वर्ष की सेवा सहित कई शर्तें रखी हैं। इसकी पात्रता नहीं होने के कारण बाकी जिलों में स्थायी पदस्थापना नहीं हो पा रही है। इस संवर्ग में आ चुके डाक्टर जैसे-जैसे पात्र होते जाएंगे इन पदों को भरा जाएगा। इसमें दो से तीन वर्ष लग जाएंगे। इस संवर्ग में शामिल संयुक्त संचालक और संचालक स्तर के पदों को भरने में और समय लगेगा। इसका कारण यह है कि सीएमएचओ को ही निर्धारित सेवा काल के बाद इन पदों पर क्रमश: पदोन्नत किया जाएगा।

कम से कम छह वर्ष तक जिला टीकाकरण अधिकारी या जिला स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर रहने के साथ ही अन्य निर्धारित शर्तें पूरा करने वालों को ही सीएमएचओ बनाया जा सकता है। साथ ही ग्रेड-पे 7600 से 8700 के बीच होना चाहिए। इसके भर्ती नियम बने हैं, जिस पर सौ प्रतिशत पात्र डाक्टरों को ही सीएमएचओ बनाया जा रहा है।

बीएमओ से लेकर संचालक तक के 75 प्रतिशत पद इसी संवर्ग से भरे जाएंगे इस संवर्ग में अलग-अलग श्रेणी के कुल 666 पद सृजित किए गए थे। विकासखंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) से लेकर संचालनालय स्तर तक 75 प्रतिशत प्रशासकीय पद इसी संवर्ग से भरे जाने हैं।

इस संवर्ग से पदस्थापना का एक बड़ा लाभ यह होगा कि प्रमुख प्रशासनिक पदों पर प्रभारी की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), संयुक्त संचालक और अतिरिक्त संचालक स्तर के पदों के लिए विकल्प मांगे गए थे। इनमें पात्र मिले डाक्टरों की अलग-अलग पदों पर पदस्थापना की जा रही है। बीएमओ और डीएचओ के 500 से अधिक पद इस संवर्ग से भरे जा चुके हैं।

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