मध्यप्रदेश

शिप्रा सिंहस्थ 2028 से पहले प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त होगी, सरकार ने प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट की गठित

 उज्जैन
सिंहस्थ 2028 से पहले मध्य प्रदेश की धर्मनगरी उज्जैन में स्थित मोक्षदायिनी शिप्रा को अविरल और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए नमामि गंगे की तर्ज पर ‘नमामि शिप्रा’ अभियान की शुरुआत होने जा रही है। इसके जरिये ही उज्जैन नगरी का भी कायाकल्प किया जाएगा।

 उज्जैन नगर की जरूरतों और विकास को ध्यान में रखते हुए सिंहस्थ 2028 पर केंद्रित कार्यों का क्रियान्वयन किया जाएगा। सरकार ने प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पीआईयू यानी प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट का गठन भी कर दिया है।

 मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने निर्देश दिए कि शिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, शिप्रा के संरक्षण और जन सुविधा का ध्यान रखते हुए नदी के घाटों को विकसित करें। जरूरत के अनुरूप और घाट बनाए जा सकते हैं। सिंहस्थ-2028 की तैयारी के संबंध में मंत्रालय में आयोजित बैठक में सीएम ने कहा कि सिंहस्थ के आयोजन और समन्वय के लिए मंत्रिमंडल समिति बनेगी। जिसकी अध्यक्षता वह स्वयं करेंगे। इसी वर्ष के बजट में तीन वर्ष में पूर्ण होने वाले कार्यों को शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सिंहस्थ में आवागमन को देखते हुए महत्वपूर्ण जावरा-उज्जैन, इंदौर-उज्जैन फोरलेन, उज्जैन रेलवे स्टेशन क्षेत्र की क्षमता वृद्धि तथा उज्जैन के आस-पास फ्लेग स्टेशन विकसित करने जैसे बड़े कार्यों को तत्काल आरंभ करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सिंहस्थ के कार्यों के लिए प्रस्ताव तैयार करें। जिसे भारत सरकार को भेजा जाएगा। वहीं उज्जैन से 25 किमी दूर स्थित सेवरखेड़ी में सिलारखेडी जलाशय में मानसून में 55 मिलियन क्यूबिक मी वर्षा जल लिफ्ट करके स्टोर किया जाएगा। जलाशय की क्षमता भी बढ़ाई जाएगी। और इसे 45 दिन में भरा जा सकेगा।

मानसून के बाद साढ़े चार माह तक पांच क्यूमेक्स यानी 1000 लीटर प्रति सेकंड के फोर्स से पानी शिप्रा में शनि मंदिर घाट के पास पाइपलाइन से छोड़ा जाएगा। इधर, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह ने सुझाव दिया कि सिलारखेड़ी के ऊपर नर्मदा का कैचमेंट है, इस पानी को भी शिप्रा में डाला जा सकता है। सिंहस्थ के लिए 650 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाया गया है। इसमें सड़क, पानी, बिजली सहित 29 प्रोजेक्ट पर काम होगा। नदी पर संपूर्ण शहरी क्षेत्र में नवीन घाटों का निर्माण किया जाएगा। इंदौर, सांवेर, देवास व उज्जैन नगरीय क्षेत्रों में वर्ष 2040 की जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए जल-मल योजनाएं और सीवेज ट्रीटमेंट प्लान वर्ष 2027 से पहले पूर्ण कर लिए जाएंगे। कान्ह नदी सहित शिप्रा नदी में मिलने वाले सभी नदी-नालों का दिसंबर 2027 तक ट्रीटमेंट सुनिश्चित किया जाएगा।

टारगेट सेट
प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट को नमामि शिप्रा परियोजना प्रबंधन इकाई नाम दिया गया है। 2028 से पहले शिप्रा नदी पर निर्माणाधीन समेत सभी परियोजनाओं को 3 साल में पूरा करने का टारगेट सेट किया गया है।

प्रोजेक्ट का उद्देश्य
पीआईयू के डायरेक्टर का जिम्मा चीफ इंजीनियर उज्जैन डिविजन को दिया गया है। PIU में 5 एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, 1 पर्यावरण विशेषज्ञ, 6 असिस्टेंट इंजीनियर, 9 सब इंजीनियर को नियुक्त किया गया है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य क्षिप्रा नदी की अविरल धारा बनाए रखना और सिंहस्थ 2028 के आयोजन के लिए स्वच्छता सुनिश्चित करना है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button