हरियाणा में कांग्रेस ने की फ्लोर टेस्ट की मांग, JJP विधायकों ने दुष्यंत को चेताया
रोहतक
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बीच सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी से प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मची है. पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट की मांग की है. इसको लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि उन्हें किसी से कोई लेना-देना नहीं है. वे लोगों को गुमराह करना चाहते हैं.
सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि उन्हें राज्यपाल को लिखित में देना चाहिए कि उनके पास कितने विधायक हैं लेकिन इस तरह गुमराह न करें. हमने हाल ही में विश्वास मत जीता है. समय आने पर हम दोबारा विश्वास मत हासिल करेंगे. वे लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं.
कांग्रेस पर नायब सिंह सैनी का निशाना
बता दें कि सीएम नायब सिंह सैनी चंडीगढ़ से बीजेपी उम्मीदवार संजय टंडन के नामांकन कार्यक्रम के दौरान चंडीगढ़ पहुंचे थे. इस दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय में बड़े-बड़े भ्रष्टाचार और घोटाले हुए है. लोगों को इन्होंने लाइन में लगाकर रखा है. इनकी सोच रहती है कि लोगों का ध्यान इनके घोटालों की तरफ न जाएं. लोगों का ध्यान इनके भ्रष्टाचार की तरफ न जाएं. लोगों को जो प्रताड़ित किया है उससे ध्यान हटाने के लिए इनकी सोच रहती है. उसी के तहत इन्होंने अफवाह फैला रखी है.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार से मांगा था इस्तीफा
बता दें कि इससे पहले गुरुवार को भिवानी में मीडिया से बातचीत के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था कि हरियाणा सरकार अल्पमत में है. सरकार को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए और राष्ट्रपति शासन लगाकर जनादेश लेना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में लहर चल रही है.
हरियाणा में दोबारा चुनाव कराने की अपनी मांग तेज कर दी है। मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद मार्च में ही हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने वाले सैनी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालांकि, जेजेपी के कुछ विधायकों के बागी तेवर उनके लिए राहत दिलाने जैसी है।
हरियाणा की सियासत के 10 बड़े अपडेट्स
(1.) राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को दिए दो पन्नों के ज्ञापन में कांग्रेस ने सैनी सरकार को बर्खास्त करने और राष्ट्रपति शासन के तहत नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की है। ज्ञापन में कहा गया है कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि राज्य सरकार अल्पमत में है।
(2.) कांग्रेस ने बताया कि तीन विधायकों के अलावा, एक अन्य निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने कुछ साल पहले अपना समर्थन वापस ले लिया था। महम से विधायक कुंडू ने तत्कालीन सीएम मनोहल लाल खट्टर पर आरोप लगाया था एक भ्रष्ट प्रशासन का नेतृत्व कर रहे हैं।
(3.) शुक्रवार को कुंडू ने भी राज्यपाल को पत्र लिखकर राष्ट्रपति शासन की मांग की। यह देखते हुए कि सैनी सरकार अल्पमत में है, उन्होंने भी अपने पत्र के माध्यम से फ्लोर टेस्ट का आह्वान किया।
(4.) कांग्रेस ने अपने ज्ञापन में कहा कि 90 सीटों वाली विधानसभा में 45 सदस्य सत्तारूढ़ खेमे के विरोध में हैं, जिनमें सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के 30, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के 10, इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के एक और चार निर्दलीय विधायक शामिल हैं। दूसरी ओर भाजपा के पास 40 विधायक हैं। बीजेपी को दो निर्दलीय और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के गोपाल कांडा का समर्थन प्राप्त है।
(5.) 90 सीटों वाले सदन की वर्तमान ताकत 88 है क्योंकि पूर्व सीएम खट्टर और मौजूदा सरकार में मंत्री रणजीत चौटाला ने भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारे जाने के बाद सदन से इस्तीफा दे दिया है।
(6.) बीजेपी के साथ-साथ जेजेपी विधायक देवेंदर सिंह बबली ने पार्टी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला को चेतावनी दी है कि उन्हें जेजेपी को पारिवारिक पार्टी नहीं मानना चाहिए। बबली और जेजेपी के दो अन्य विधायकों ने गुरुवार को मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की थी।
(7.) बबली ने शिकायत की कि राज्यपाल को पत्र लिखने और फ्लोर टेस्ट की मांग करने से पहले चौटाला ने विधायकों से सलाह नहीं ली। टोहाना विधायक ने कहा, "पार्टियां लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार काम करती हैं। दुष्यंत को इसे अपनी पारिवारिक पार्टी नहीं मानना चाहिए क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनावों में उनके और उनकी मां के अलावा आठ अन्य नेता चुने गए थे।"
(8.) अक्टूबर 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इसके बाद इसने जेजेपी से हाथ मिला लिया। मनोहर लाल खटटर दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और दुष्यन्त चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
(9.) इस साल मार्च में दोनों पक्ष अलग-अलग रास्ते पर चले गए। संकट शुरू होने के एक दिन बाद बुधवार को उन्होंने घोषणा की कि अगर कांग्रेस इस सरकार को गिराना चाहती है तो वह उसका समर्थन करेंगे।
(10.) विधायक सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलेन और धर्मपाल गोंदर ने अपना समर्थन वापस ले लिया। उन्होंने ऐलान किया कि वे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे।