भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजयी रथ को रोकने के लिए तैयार इंडिया गठबंधन में मतभेद खुलकर सामने आया
नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजयी रथ को रोकने के लिए तैयार इंडिया गठबंधन में मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने जैसे ही इंडिया गठबंधन की लीडरशिप पर अपना दावा ठोका कि कांग्रेस भी खुलकर सामने आ गई। देश की सबसे पुरानी पार्टी को यह बात रास नहीं आई। हालांकि, ममता के दावे को अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन जरूर मिला है। साथ ही राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने लालू यादव को इस गठबंधन की शिल्पकार करार दिया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में बयान दिया कि वह INDIA गठबंधन की कमान संभालने के लिए तैयार हैं। उनके इस बयान ने सहयोगी दलों के बीच असहमति को जन्म दिया है।
कांग्रेस का विरोध
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया गठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस ने ममता बनर्जी के दावे पर असहमति जताई। कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि गठबंधन का नेतृत्व सामूहिक सहमति से तय किया जाना चाहिए, न कि किसी एकतरफा घोषणा से। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "गठबंधन का नेतृत्व एक सामूहिक निर्णय होना चाहिए और इसे सभी सहयोगियों की सहमति से तय किया जाएगा।"
समाजवादी पार्टी का रुख
समाजवादी पार्टी (एसपी) ने ममता के नेतृत्व का समर्थन किया है। समाजवादी पार्टी ने कहा कि ममता बनर्जी अपने नेतृत्व कौशल से हरियाणा और महाराष्ट्र में लगातार चुनावी हार के बाद इंडिया गठबंधन को मजबूत करेंगी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने कहा, 'अगर ममता बनर्जी ने ऐसी इच्छा जाहिर की हैं तो INDIA ब्लॉक के नेताओं को उसपर विचार करना चाहिए और उनका सहयोग लेना चाहिए। इससे इंडिया गठबंधन मजबूत होगा। ममता बनर्जी ने भाजपा को बंगाल में रोकने का काम किया है। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के प्रति हमारा 100 प्रतिशत समर्थन और सहयोग है।'
राजद का बयान
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस बहस को अलग दिशा देते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव ही गठबंधन के असली निर्माता हैं। राजद के प्रवक्ता ने कहा, "INDIA गठबंधन किसी एक व्यक्ति की महत्वाकांक्षा पर नहीं बल्कि सामूहिक ताकत पर आधारित है। लालू प्रसाद यादव ने इस गठबंधन की नींव रखी थी और उनकी दृष्टि ही इसे आगे ले जाएगी।"
INDIA गठबंधन के सामने चुनौतियां
इन विभिन्न बयानों से यह स्पष्ट हो गया है कि विपक्षी दलों को एकजुट रहना चुनौतीपूर्ण होगा। गठबंधन ने अब तक ईवीएम छेड़छाड़ जैसे मुद्दों पर एकजुट होकर आवाज उठाई है, लेकिन नेतृत्व को लेकर विवाद उनके सामूहिक उद्देश्य को कमजोर कर सकता है। सियासी एक्सपर्ट का मानना है कि इन मुद्दों को सार्वजनिक मंच पर लाने के बजाय आंतरिक चर्चा में हल किया जाना चाहिए।