मध्यप्रदेश

प्रशासन की पहल ‘प्रशासन गांव की ओर’ का असर, मुख्यालय तक पहुंचने वाली शिकायतें 90 फीसदी तक घटीं

टीकमगढ़
  ग्रामीण जिला मुख्यालय तक आकर परेशान न हों, इसलिए टीकमगढ़ प्रशासन ने उनकी पीड़ा जानने के लिए जनसुनवाई जैसे मंच को उनके द्वार तक पहुंचाने का नवाचार आरंभ किया। इसे नाम दिया ‘प्रशासन गांव की ओर’।

नतीजा यह हुआ कि जिला मुख्यालय पर प्रत्येक मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में शिकायती आवेदन 90 प्रतिशत तक कम हो गए। दिसंबर 2023 में शुरू किए इस नवाचार में कलेक्टर अवधेश शर्मा ने इसके लिए मातहत 324 अधिकारियों को प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया है।

कलेक्टर करते हैं औचक निरीक्षण

यह प्रतिनिधि जनसुनवाई करते हैं और शिकायतों को गूगल फॉर्म पर भरकर कलेक्टर के समक्ष पेश करते हैं। इतना ही नहीं इनकी समीक्षा साप्ताहिक टीएल बैठक में सबसे पहले की जाती है। मंगलवार को कभी भी कलेक्टर बिना बताए किन्हीं पांच गांव पहुंच जाते हैं। औचक निरीक्षण के भय से सभी अफसर हर जनसुनवाई में मौजूद रहते हैं।

दरअसल कलेक्टर ने देखा कि गांव स्तर से लोग जिला मुख्यालय आते हैं और फिर आवदेन टाइप कराना सहित उनके कई खर्चे होते थे। इसके पूर्व भी ग्राम पंचायत स्तर पर कर्मचारियों से अपेक्षा थी कि निचले स्तर पर ही समस्याओं का निराकरण हो जाए, लेकिन मॉनीटरिंग की बेहतर व्यवस्था न होने से समस्याओं का निराकरण तेजी व गारंटी के साथ नहीं हो पाता था और लोगों को एक ही प्रकार की शिकायत के लिए ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिला मुख्यालय तक कई आवेदन देने पड़ जाते थे। जब तक ग्रामीण स्वयं कलेक्टर के हाथ में आवेदन नहीं थमा देते थे, तब तक उन्हें निराकरण होने का भरोसा नहीं रहता था। ऐसे में कलेक्टर ने इस नवाचार को शुरू किया।

अन्य अधिकारी व जनप्रतिनिधि बने सहभागी

अभियान में पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत सरपंच भी सक्रिय भूमिका में है। सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य आदि को भी इस प्रक्रिया के बारे में अवगत कराते हुए इसमें सहभागी बनाया है, जो अधिकारी ग्राम पंचायत स्तर पर अपनी ड्यूटी के लिए जाते हैं। शासन की उनसे स्वयं क्षेत्र भ्रमण की अपेक्षा रहती है, जिसे मंगलवार की जनसुनवाई से जोड़कर इसका भी समाधान किया गया। साथ ही कार्यालय का संचालन विधिवत होता है, जिसमें कोई व्यवधान नहीं आता।

पेपरलैस है पूरा सिस्टम

सुनवाई का यह पूरा सिस्टम पेपरलैस है। इसमें क्विक रिस्पॉन्स मैकेनिज्म भी तैयार किया गया है, जिसमें एक सरल गूगल फॉर्म विकसित किया गया है, जिसमें महत्वपूर्ण मु्द्दे जैसे पीडीएस, पेयजल की समस्या, मध्याह्न भोजन, राजस्व, आवास, स्वच्छता की शिकायतों का फीडबैक लिया जाता है, जिसमें स्वयं कलेक्टर लाइव देखते हैं और संबंधित जिला अधिकारी के माध्यम से शिकायत का निराकरण कराते हैं। इसमें कलेक्टर समस्याओं की रिपोर्ट लेकर मौके पर निराकरण कराते हैं।

क्विक रिस्पांस मैकेनिज्म के तहत खाद्य विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीम अलर्ट मोड पर रहती है, जिससे जनहित से जुड़ी मुख्य समस्याओं जैसे खाद्यान वितरण न होना, पेयजल की गंभीर समस्या होना या किसी संक्रामक बीमारी का उजागर होने पर उनका तत्काल निराकरण संभव हो पाता है। मंगलवार की शाम को किसी एक ब्लाक की सभी ग्राम पंचायतों के नोडल अधिकारियों और जिला अधिकारियों की बैठक लेकर प्रत्येक ग्राम पंचायत की समस्याओं का निराकरण और फालोअप कराते हैं।

बिना मजदूरी छोड़े समस्या का हल, अब भरोसा भी मिला

टीकमगढ़ जिले के सबसे दूरस्थ गांव जिला मुख्यालय से 90 से 100 किलोमीटर तक स्थित हैं। कलेक्टर की यह पहल पर्यावरण संरक्षण के लिए कारगर सिद्ध हुई है, क्योंकि वाहनों की उपयोग घटा है। लेकिन इससे भी बढ़कर यह उन लोगों के लिए बहुत बड़ी सुविधा लेकर आई है, जो स्वयं के वाहन न होने के कारण अपना पैसा और समय खर्च कर जिला मुख्यालय तक जाते थे। इससे उनका दिनभर की मजदूरी का भी नुकसान होता था। जिसकी अब बचत हुई।

इन समस्याओं का हुआ निराकरण

    जर्जर भवनों का चिन्हांकन करते हुए लोगों की सुरक्षा निर्धारित की। नदनवारा, गनेशगंज, पनियाराखेरा, चंद्रपुरा जैसे गांवों में भवनों में सुधार हुआ।

    पलेरा के टपरियन चौहान में मध्यान्ह भोजन वितरण न होने की शिकायत पर तत्काल ही एक्शन लिया और फिर शाम को विशेष भोज कराया गया।

    बनगाय, अहार, डूडाखेरा, बरमे, खरीला गांव में खाद्यान वितरण में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर यहां अन्न उत्सव मनाते हुए खाद्यान वितरण कराया और फिर दुकान खुलने की मुनादी हुई।

    वीरुऊ में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के नहीं पहुंचने की शिकायत मिली, तो कार्रवाई हुई और फिर तैनाती की गई।

    जल स्त्रोत से गंदा पानी आने की शिकायत के बाद एक साथ 261 गांवों से पानी की जांच के लिए नमूने लिए गए।

    जनसुनवाई खानापूर्ति न रह जाए और कलेक्टर तक अपनी बात पहुंचाने के लिए लोगों को टीकमगढ़ जिला मुख्यालय तक न आना पड़े। इसलिए कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में नोडल अधिकारियों को नियुक्त कर दिया, जो प्रतिनिधि मुझे रिपोर्ट करते हैं और उन आवेदनों को देखने के बाद उन पर कार्रवाई होती है। इसकी समीक्षा भी हर दिन एक घंटे की जाती है। इसके बेहतर परिणाम भी आ रहे हैं।

    – अवधेश शर्मा, कलेक्टर टीकमगढ़

 

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