छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़-पीएससी घोटाले में CBI ने कैसा शिकंजा, पॉवर कंपनी के डायरेक्टर गिरफ्तार

रायपुर.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) भर्ती अनियमितता 2021 मामले में अब तक की बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई ने सीजीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा बहू-बेटे को डिप्टी कलेक्टर बनाने के एवज में 45 लाख रुपये रिश्वत देने के आरोप में रायपुर के एक निजी स्टील एंड पॉवर लिमिटेड के डायरेक्टर श्रवण कुमार गोयल को भी गिरफ्तार किया गया है।

मामले में अब तक की ये पहली गिरफ्तारी है। चर्चा है कि अन्य पर भी सीबीआई जल्द शिकंजा कसेगी। इस घोटाले मामले में श्रवण कुमार गोयल ने अपने बहु और बेटे को डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयन कराने के लिये सीजीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी को कथित रूप से 45 लाख रुपये रिश्वत के रूप में दिये थे। आरोप है कि उन्होंने ग्रामीण विकास समिति के माध्यम से दो किश्तों में 20 लाख और 25 लाख रुपये कथित रूप से रिश्वत राशि का भुगतान किया था। ये रिश्वत गोयल के बेटे शशांक गोयल और बहु भूमिका कटारिया का छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उप जिलाधिकारी के रूप में चयन करने के लिये दी गई थी।

48 शिकायतों के बाद हुई थी कार्रवाई
पिछली सरकार (कांग्रेस कार्यकाल) में सीजीपीएससी भर्ती घोटाले में 48 मामलों की शिकायत राज्यपाल, सीएम और मुख्य सचिव से की गई थी। आयोग ने सीजीपीएससी 2021 के लिए 171 पदों पर प्रारंभिक भर्ती परीक्षा 13 फरवरी 2022 को ली थी। इसमें 2565 लोग उत्तीर्ण हुए थे। 26 से 29 मई 2022 को हुई मुख्य परीक्षा में कुल 509 उम्मीदवार उत्तीर्ण हुए थे। इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सूची जारी हुई थी। इस भर्ती में अनियमितता और भाई भतीजावाद के आरोप में सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, सचिव जीवनकिशोर ध्रुव, परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई थी।

पूर्व मंत्री की शिकायत को बनाया आधार
इस भर्ती घोटाले को लेकर रमन सरकार में पूर्व मंत्री रहे और बीजेपी के सीनियर नेता ननकीराम कंवर ने पीएससी परीक्षा 2021-22 में अनियमित की शिकायत राज्यपाल से लिखित में की थी। इसके बाद महानिदेशक ईओडब्ल्यू/एसीबी रायपुर को अपराध पंजीबद्ध करने के लिए राज्य शासन की ओर से 2 फरवरी 2024 को पत्र मिला था। शिकायत में राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष सोनावानी, सचिव, राजनेता और अन्य ने मिलीभगत कर अपने बेटे-बेटियों, रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर समेत अन्य पदों पर फर्जी तरीके से भर्ती किए जाने पर केंद्रीय एजेंसी से जांच कराकर क्रमांक 1 से 71 की चयन सूची को निरस्त कर मामले में संलिप्त लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज करते हुए कार्रवाई करने के लिये राज्यपाल से अनुरोध किया था।

भाई-भतीजावाद का खेल!
आरोप है कि तत्कालीन अध्यक्ष सोनवानी के बेटे नितेश सोनवानी का चयन कथिततौर पर डिप्टी कलेक्टर, उनके बड़े भाई के बेटे साहिल सोनवानी का चयन डीएसपी और उनकी बहन की बेटी सुनीता जोशी का चयन श्रम पदाधिकारी, बेटे नितेश सोनवानी की पत्नी निशा कोसले का चयन डिप्टी कलेक्टर और भाई की बहू दीपा आदिल का चयन जिला आबकारी अधिकारी के रूप में हुआ था। इतना ही नहीं आरोप ये भी है कि सीजीपीएससी के तत्कालीन सचिव किशोर ने अपने बेटे सुमित ध्रुव का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर कराया। इसके साथ ही आरोप ये भी है कि उस दौरान कांग्रेस सरकार के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों के बेटा-बेटियों, रिश्तेदारों, नेताओं और पदाधिकारी को डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी आदि पद के रूप में चयनित किया गया ।

विधानसभा चुनाव 2023 में उठा था ये मामला
विधानसभा चुनाव 2023 में सीजीपीएससी भर्ती घोटाला मामला काफी गरमाया हुआ था। इस मामले को लेकर प्रदेश के युवा आक्रोशित होकर सड़क पर उतर गये थे। विधानसभा चुनाव दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के कई राष्ट्रीय नेताओं ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की गारंटी दी थी। पांच साल की भूपेश सरकार के सत्ता से बाहर होने और राज्य में चौथी बार बीजेपी की सरकार बनने पर सीएम विष्णुदेव साय की कैबिनेट ने 3 जनवरी 2024 को मामले की सीबीआई से जांच कराने का निर्णय लिया था। राज्य सरकार की समिति के बाद केंद्र से जांच के लिए अधिसूचना जारी किया गया और मामला सीबीआई को सुपुर्द कर दिया गया।

इन धाराओं में केस दर्ज
सीजीपीएससी घोटाला मामले में सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव समेत कई अधिकारियों, राजनेताओं के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 120 बी, 420 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1998 तथा संशोधित 2018 की धारा 7,7 (क) व 12 के तहत अपराध दर्ज किया गया। इसके बाद सीबीआई ने केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।

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