मध्यप्रदेश

उच्च माध्यमिक विद्यालियों को मिलेंगे 3198 शिक्षक, जबलपुर हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश…..

जबलपुर

जबलपुर हाईकोर्ट ने वर्ग 1 के शिक्षकों के लिए जॉइनिंग लेटर जारी करने का अंतरिम आदेश दिया है। चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और डीपीआई के पक्ष में अंतरिम राहत प्रदान की। हालांकि, यह प्रक्रिया अंतिम आदेश के अधीन रहेगी, जिसका मतलब है कि आगे कोई भी निर्णय उस आदेश के आधार पर लिया जाएगा।

 इस मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी, और डीपीआई एक-दो दिन में 3198 शिक्षकों को जॉइनिंग लेटर जारी कर सकता है। सभी औपचारिकताओं का पालन किया जा रहा है, और अब केवल औपचारिक आदेश का इंतजार है। यह शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनकी भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।

ये है मामला
यह केस 2018 में हुई भर्ती परीक्षा से संबंधित है, जिसमें 848 ईडब्ल्यूएस पद शामिल थे। प्रारंभ में, जब परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी हुआ, तब इन पदों का उल्लेख नहीं था, लेकिन बाद में इन्हें जोड़ा गया। मामला कोर्ट में गया, और 23 फरवरी 2024 को न्यायालय ने निर्देश दिया कि पात्रता परीक्षा में 75 अंक लाने वालों की मेरिट बनाने की प्रक्रिया की जाए और तब तक भर्ती पर रोक लगा दी जाए।

हाईकोर्ट में लगाई गई थी चार याचिका
इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में चार याचिकाएं चल रही हैं, जिसमें DPI द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ अपील की गई है। मौखिक निर्देश दिए गए हैं कि सिंगल बेंच के आदेश पर यथास्थिति बनाए रखी जाए। हालांकि, शासन ने 2023 की भर्ती परीक्षा में पास हुए उम्मीदवारों के दस्तावेजों का सत्यापन कर लिया है, लेकिन ज्वाइनिंग लेटर देने पर रोक लगा दी है, जिससे ज्वाइनिंग प्रक्रिया रुक गई है।

डीपीआई का तर्क
डीपीआई ने कोर्ट में तर्क दिया है कि 2018 की भर्ती के पदों के कारण 2023 की भर्ती को नहीं रोका जाना चाहिए, और ज्वाइनिंग देने की मांग की थी।

याचिकाकर्ता का पक्ष
इस केस में चयनित शिक्षकों ने अपनी ओर से 2023 भर्ती पर लगी रोक को हटाने के लिए अदालत में याचिका दायर की। जहां उन्होंने अपनी नियुक्ति को सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

हाईकोर्ट का फैसला
हाल ही में 15 अक्टूबर को हुई सुनवाई में शासन की ओर से जॉइनिंग की मांग को सशर्त मंजूर किया गया। यह निर्णय याचिकाकर्ताओं के वकीलों द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों के बाद आया। अब उम्मीद है कि जल्द ही स्कूलों को आवश्यक शिक्षकों की नियुक्ति मिल सकेगी, जिससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सकता है।

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