भूपेंद्र तिवारी, दुर्ग
कई बार माता-पिता की अनदेखी या ये कह लें कि दूसरे कामों में व्यस्तता उन पर ही भारी पड़ जाती है। दरअसल छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से कुछ ऐसा सुनने में आ रहा है जिसपर हर किसी के लिए विश्वास कर पाना नामुमकिन हो रहा है और बावजूद इन सबके यह खबर फिलहाल देशभर में चर्चा का विषय है। जानकारी के अनुसार दो छात्रों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई है, मगर ये दुर्घटना सिर्फ वैसी नहीं है जितनी समझ में आ रही बल्कि इसकी दास्तान कुछ और ही है।
रेल पटरी पर बैठ खेल रहे थे गेम
अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दुर्ग से दल्ली राजहरा रेलवे ट्रैक पर पार्श्वनाथ मंदिर के पीछे बीते शनिवार की रात लगभग 8:00 बज रहे होंगे, दो बच्चे ट्रैक पर पहुंचते हैं, ये दोनो भिलाई के रिसाली क्षेत्र के रहने वाले बताए जा रहे हैं और स्कूल छात्र है। ये वहीं ट्रैक पर बैठकर मोबाइल पर गेम खेलने लग गए और इन्हें शायद यह पता ही नहीं था कि ये मोबाइल गेम ही इनके मौत का कारण बनेगी। खेल में मसरूफ ऐसे हुए की इन्हें ट्रेन की हॉर्न तक का पता नहीं चला।
3:50 किलोमीटर तक बजने वाली हॉर्न बगल बैठें न पड़ी इनके कान
रिपोर्ट के अनुसार जिस ट्रेन के नीचे कुचल कर इन छात्रों की मौत हुई है उस वक्त उस ट्रेन को चलाने वाले लोको पायलट एमके साहू थे, उन्होंने पुलिस को यह बताया कि हॉर्न बजाने के बाद भी दोनों बच्चे नहीं हटे और आखिरकार वो ट्रेन की चपेट में आ गए। जानकारी के अनुसार एक्सपर्ट ये बताते हैं की ट्रेन की जो हॉर्न होती है वह 3:50 किलोमीटर तक उसकी आवाज की गूंज होती है कई बार आप कहीं दूर खड़े भी होते हैं तो भी ट्रेन कहीं से गुजरती है उसका हॉर्न बजता है तो साफ समझ आ जाता है की ट्रेन आ रही है, मगर ये ट्रेन के हॉर्न के बिल्कुल सामने बैठे हुए थे बावजूद इसके शायद उनकी मौत इस लापरवाही की वजह से लिखी हुई थी इसलिए उनके कान में उस ताकतवर हॉर्न की आवाज कानों पर बिल्कुल ना पड़ी।
बेसुध पड़े है मां पिता
बच्चे कहां जा रहे हैं? क्या करते हैं? कितना समय मोबाइल फोन पर दे रहे हैं?और उसके आदि होते-होते वह आम जन जीवन से कितने दूर हो रहे हैं? ये न सिर्फ चर्चा का विषय है, शोध का विषय है, बल्कि विशेष रूप से अभिभावकों के लिए गहन चिंतन का भी विषय है। बता दें कि 14 वर्षीय आशीष और 13 वर्षीय वीर के माता-पिता जानकारी के अनुसार बच्चों के मौत की खबर लगने के बाद से ही बेसुध है।
घंटों बच्चो का मोबाइल में गेम खेलना खतरनाक, कैसे करें इससे उन्हें दूर
यह पहला मामला नहीं है देश भर में इस तरीके के मामले आए दिन मां पिता को जीवन भर का दुख दर्द दे दिया करते हैं। रिपोर्ट्स और जानकारी के अनुसार 12 से 18 महीने की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की खूब बढ़ोतरी देखी जा रही। ये न सिर्फ उनके आंखों के लिए खतरनाक है बल्कि उनके सामाजिक, मानसिक विकास के लिए भी बहुत बड़ी बाधा है।
बच्चों को कैसे बहुत ज्यादा फोन के उपयोग से दूर किया जाए उसके लिए इन बातों का रखें विशेष ध्यान
1) प्रयास यही करें माता पिता , कम उम्र में बच्चों को मोबाइल फोन ना दें
2) जब घर में अगर वाई-फाई लगा हो तो जब उपयोग की जरूरत ना हो तो वाई-फ़ाई बंद कर दें
3) ज्यादा से ज्यादा बच्चों के साथ खुद समय बिताने का प्रयास करें
4) मोबाइल में पासवर्ड रखें
5) घर और बाहर के कामों में बिजी रखें