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बैडमिंटन खिलाड़ी थुलासिमथी मुरुगेसन पैरालंपिक खेलों के फाइनल में

पेरिस
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थुलासिमथी मुरुगेसन ने हमवतन मनीषा रामदास को हराकर पैरालंपिक खेलों में महिला एकल एसयू5 वर्ग के फाइनल में प्रवेश किया।

तमिलनाडु की रहने वाली शीर्ष वरीयता प्राप्त मुरुगेसन ने रविवार रात खेले गए सेमीफाइनल में मनीषा को 23-21, 21-17 से हराया।

मुरुगेसन ने मैच के बाद कहा, ‘‘यह सपना सच होने जैसा है। मैं खुश हूं लेकिन मुझे फाइनल के लिए तैयारी करनी होगी। मैंने इस मैच के लिए मानसिक रूप से तैयारी की है। मेरे और मनीषा के बीच हमेशा स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होती है।’’

एसयू5 श्रेणी में उन खिलाड़ियों को रखा जाता है जिनके ऊपर के अंगों में विकलांगता है। मनीषा के बाएं हाथ में जन्मजात विकार था।

मुरुगेसन ने कम से कम रजत पदक पक्का कर लिया है। इस 22 वर्षीय खिलाड़ी को फाइनल में चीन की यांग क्यूक्सिया की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

राकेश पैरालंपिक में लगातार शिनलियांग से हारे, कांस्य पदक के लिए भिड़ेंगे

 भारतीय तीरंदाज राकेश कुमार रविवार को यहां पैरालंपिक के कंपाउंड पुरुष ओपन तीरंदाजी सेमीफाइनल में चीन के प्रतिद्वंद्वी एन शिनलियांग के खिलाफ अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाने में विफल रहे और दो अंक से हार गए। दुनिया के नंबर एक तीरंदाज राकेश अब कांस्य पदक के लिए खेलेंगे।

शिनलियांग ने सेमीफाइनल में राकेश को 145-143 से शिकस्त दी। यह चीन के खिलाड़ी की भारतीय खिलाड़ी पर लगातार तीसरी जीत है। राकेश का अभियान तोक्यो पैरालंपिक में शिनलियांग से क्वार्टर में इसी समान स्कोर से हार से समाप्त हुआ था।

इससे पहले राकेश ने अपनी विश्व नंबर एक रैंकिंग को सही साबित करते हुए लगातार शूट-ऑफ जीतते हुए पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।

तोक्यो पैरालंपिक में क्वार्टर फाइनल में बाहर होने वाले 39 वर्षीय भारतीय अनुभवी तीरंदाज ने पहले इंडोनेशिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी केन स्वगुमिलांग को 144-144 (10-8) से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी।

खेल मनोवैज्ञानिक और आहार विशेषज्ञ राकेश ने असाधारण संयम का परिचय देते हुए दो घंटे के भीतर एक और रोमांचक शूट-ऑफ कनाडा के काइल ट्रेम्बले को एकदम सटीक निशाना लगाकर 144-144 (10*-10) से हराया।

राकेश की शुरुआत धीमी रही। वह नौ तीरों के बाद दो अंकों से पीछे चल रहे थे। पर उन्होंने धैर्य बनाए रखते हुए चौथी सीरीज में तीन परफेक्ट 10 लगाए जिससे उन्हें 116-115 की मामूली बढ़त हासिल हुई।

पर रोमांच तब पैदा हुआ जब राकेश एक अंक से पिछड़ गए। कनाडाई तीरंदाज ने दो 10 अंक के शॉट लगाए और उनका अंतिम तीर केंद्र के करीब लगा।

स्कोर 144-144 से बराबर था। राकेश इसी स्कोरलाइन के बाद शूट-ऑफ से क्वार्टर फाइनल में पहुंचे थे।

इससे पहले राकेश ने अपने अंतिम तीर की गलती से वापसी करते हुए इंडोनेशिया के केन को शूटऑफ में हराकर लगातार दूसरी दफा पैरालंपिक खेलों के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी।

दुनिया के शीर्ष दो तीरंदाजों के बीच मुकाबले में राकेश ने एक अंक की मामूली बढ़त बनाए रखी और उन्हें जीतने के लिए नौ अंक के शॉट की जरूरत थी। लेकिन वह आठ अंक की रिंग में शॉट लगा बैठे। इससे दोनों तीरंदाज 15 तीर के बाद 144-144 से बराबरी पर पहुंच गये।

तोक्यो पैरालंपिक में क्वार्टर फाइनल से बाहर होने वाले 39 वर्षीय अनुभवी राकेश ने इसके बाद हुए शूट-ऑफ में परफेक्ट 10 शॉट लगाने के लिए संयम बनाए रखा जबकि केन आठ अंक का शॉट ही लगा सके।

जम्मू के तीरंदाज राकेश ने पिछले साल एशियाई पैरा चैंपियनशिप की व्यक्तिगत और मिश्रित टीम स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने विश्व पैरा चैंपियनशिप में मिश्रित टीम का स्वर्ण पदक भी जीता था।

राकेश को रीढ़ की हड्डी में चोट लगी थी और 2009 में ठीक होने के बाद उन्हें पता चला कि उन्हें जीवन भर व्हीलचेयर पर रहना पड़ेगा। इससे वे अवसाद में चले गए।

अपने तीरंदाजी कोच कुलदीप वेदवान से मिलने के बाद उनके जीवन ने एक नया मोड़ लिया।

सुहास और नितेश पेरिस पैरालंपिक बैडमिंटन के फाइनल में

 सुहास यथिराज और नितेश कुमार रविवार को यहां पेरिस पैरालंपिक में अपने अपने वर्ग में पुरुष एकल फाइनल में पहुंचकर अपने पहले स्वर्ण पदक के करीब पहुंच गए।

तोक्यो चरण के रजत पदक विजेता सुहास हमवतन सुकांत कदम को सीधे गेम में हराकर पुरुष एकल बैडमिंटन एसएल4 फाइनल में पहुंचे और वह पैरालंपिक में लगातार दो पदक जीतने वाले पहले भारतीय शटलर बनने के लिए तैयार हैं।

शीर्ष वरीयता प्राप्त भारतीय नितेश ने सेमीफाइनल में जापान के डाइसुके फुजिहारा पर सीधे गेम में शानदार जीत से पुरुष एकल एसएल3 वर्ग के फाइनल में प्रवेश कर पदक सुनिश्चित कर दिया।

नितेश (29 वर्ष) ने 48 मिनट तक चले सेमीफाइनल में फुजिहारा पर 21-16 21-12 से जीत के साथ अपना दबदबा दिखाया। 2009 में हुई एक दुर्घटना में उनका पैर स्थायी रूप से विकलांग हो गया था।

2007 बैच के आईएएस अधिकारी 41 वर्षीय सुहास ने सुकांत को 21-17, 21-12 से हराकर एक बार फिर पैरालंपिक के फाइनल में जगह बनाई।

सुहास ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि मैं लगातार पैरालंपिक के फाइनल में पहुंचा। भगवान का शुक्र है। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और दबाव में नहीं आया।’’ सुकांत अब कांस्य पदक के लिए खेलेंगे।

आईआईटी मंडी के स्नातक नितेश ने इस तरह सुनिश्चित किया कि भारत एसएल3 वर्ग से पदक के साथ लौटे। प्रमोद भगत ने तीन साल पहले तोक्यो में पैरा बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीता था।

एसएल3 वर्ग के खिलाड़ी निचले अंगों की विकलांगता के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।

नितेश का सामना सोमवार को फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल से होगा जिन्होंने दूसरे सेमीफाइनल में थाईलैंड के बन्सन मोंगखोन को 21-7, 21-9 से हराया।

तोक्यो पैरालंपिक में प्रमोद भगत के बाद दूसरे स्थान पर रहे बेथेल अब नितेश के लिए एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी हैं।

नितेश की खेल यात्रा की शुरुआत बचपन में फुटबॉल के प्रति जुनून के साथ शुरू हुई। उन्हें हालांकि विशाखापत्तनम में एक दुर्घटना के कारण महीनों तक बिस्तर पर रहना पड़ा। इस दुर्घटना में उनका पैर स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो गया। इसके बावजूद, खेलों में उनकी रुचि बनी रही। आईआईटी-मंडी में पढ़ाई के दौरान उन्होंने बैडमिंटन में गहरी रुचि विकसित की।

कोविड-19 महामारी के दौरान गौतम बुद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में काम करने वाले सुहास प्रयागराज के डीएम भी थे।

फाइनल में अब उनका सामना फ्रांस के लुकास माजुर से होगा जो तीन साल पहले तोक्यो पैरालंपिक के फाइनल में उनसे हारने के बाद बदला चुकता करना चाहेंगे।

कंप्यूटर इंजीनियर से आईएएस अधिकारी बने सुहास ने अपने टखने की कमजोरी को बैडमिंटन के प्रति अपने जुनून में कभी बाधा नहीं बनने दिया।

वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार के तहत युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल के सचिव और महानिदेशक के रूप में तैनात सुहास का प्रशासन से बैडमिंटन कोर्ट तक का सफर उनकी उल्लेखनीय दृढ़ता के बारे में है।

नित्या सिवन सुमति महिला एसएच6 श्रेणी के क्वार्टर फाइनल में पोलैंड की ओलिविया स्जमीगील को 21-4, 21-7 से हराया। सेमीफाइनल में उनके सामने चीन के लिन शुआंगबाओ की चुनौती होगी। चीन की इस खिलाड़ी ने ग्रुप चरण के करीबी मुकाबले में नित्या को शिकस्त दी थी।

इससे पहले मनीषा रामदास ने एसयू5 वर्ग में महिलाओं के एकल सेमीफाइनल में जगह बनाई जहां उनका सामना हमवतन तुलसीमति मुरुगेसन से होगा जिससे भारत का इस स्पर्धा में पदक पक्का हो गया।

मनीषा के दाहिने हाथ में जन्म से ही विकार था। इस 19 वर्षीय खिलाड़ी को क्वार्टर फाइनल में जापान की मामिको टोयोडा को 21- 13 21-16 से हराने में कोई परेशानी नहीं हुई।

दूसरी वरीयता प्राप्त भारतीय खिलाड़ी ने अपनी गैरवरीय प्रतिद्वंद्वी को केवल 30 मिनट में बाहर का रास्ता दिखाया।

अंतिम चार में मनीषा का मुकाबला शीर्ष वरीयता प्राप्त तुलसीमति से होगा, जिन्होंने शनिवार को ग्रुप ए में पुर्तगाल की बीट्रिज़ मोंटेइरो को हराया था।

एसएल4 वर्ग में पुरुष एकल सेमीफाइनल में दो भारतीय खिलाड़ी सुहास यतिराज और सुकांत कदम आमने-सामने होंगे। इस तरह से इन दोनों ने बैडमिंटन में भारत का पहला पदक पक्का किया था।

इससे पहले मनदीप कौर और पलक कोहली क्वार्टर फाइनल से आगे बढ़ने में नाकाम रही।

एसएल3 वर्ग में खेल रही मनदीप नाइजीरिया की तीसरी वरीयता प्राप्त बोलाजी मरियम एनियोला के सामने किसी तरह की चुनौती पेश नहीं कर पाई और 23 मिनट में 8-21, 9-21 से मुकाबला हार गई।

मनदीप की एनियोला के खिलाफ यह लगातार दूसरी हार है। इससे पहले वह ग्रुप चरण में भी नाइजीरियाई खिलाड़ी से हार गई थी।

एसएल4 वर्ग में पैरा विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता पलक इंडोनेशिया की खलीमातुस सादियाह से 28 मिनट में 19-21, 15-21 से हार गईं।

 

 

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