वक्फ विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति ने विशेषज्ञों, हितधारकों से मांगे सुझाव
नई दिल्ली
वक्फ (संशोधन) विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति ने हितधारकों, विशेषज्ञों और अन्य संस्थानों से प्रस्तावित कानून पर सुझाव मांगे हैं।
यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार के उद्देश्य से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की पहली बड़ी पहल है।
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता जगदंबिका पाल की अगुवाई वाली समिति ने विधेयक के ‘व्यापक प्रभावों’ को देखते हुए आम जनता और गैर सरकारी संगठनों, विशेषज्ञों, हितधारकों और संस्थानों से विशेष रूप से विचार मांगे हैं।
लोगों से अगले 15 दिनों के भीतर लिखित में अपने सुझाव साझा करने को कहा गया है।
इसमें कहा गया है कि समिति को सौंपे गए ज्ञापन और सुझाव, समिति के रिकॉर्ड का हिस्सा होंगे और उन्हें ‘गोपनीय’ माना जाएगा।
इसमें यह भी कहा गया कि अगर कोई समिति के समक्ष उपस्थित होना चाहता है तो लिखित में विचार प्रस्तुत करने के अलावा उसे अपने पत्राचार में विशेष रूप से इसका संकेत देना होगा।
यह विधेयक भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार की पहली बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य एक केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार करना है।
यह कई सुधारों का प्रस्ताव करता है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व के साथ राज्य वक्फ बोर्डों समेत एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना शामिल है।
विधेयक का एक विवादास्पद प्रावधान, जिलाधिकारी को यह निर्धारित करने के लिए प्राथमिक प्राधिकरण के रूप में नामित करने का प्रस्ताव है कि क्या संपत्ति को वक्फ या सरकारी भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
विधेयक को गत आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और चर्चा के बाद संसद की एक संयुक्त समिति को भेजा गया था। सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि प्रस्तावित कानून मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं रखता है जबकि विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए उठाया गया कदम और संविधान पर हमला बताया था।
इस महीने की शुरुआत में समिति की पहली बैठक हुई थी। इसमें कई विपक्षी सांसदों ने इस प्रस्तावित कानून के कई प्रावधानों को लेकर आपत्ति जताई।
समिति की इस पहली बैठक के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से एक प्रस्तुति भी दी गई थी।
समिति की दूसरी बैठक शुक्रवार को हो रही है और इसी दौरान लोगों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।