विश्व धरोहर दिवस पर संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग द्वारा आज प्रदर्शनी और व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित हुआ। महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के 13 जिलों से ज्ञात शैल-कला धरोहर पर मानचित्र और छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई गई। धरोहरों के संरक्षण पर व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी. और पदमश्री ए.के. शर्मा, डी. एस. बी. ओवा भोपाल और राहुल तिवारी ने किया।
पदमश्री ए.के. शर्मा ने धरोहरों के संरक्षण में लोगों की भूमिका पर कहा कि धरोहरों को प्राकृतिक कारकों से ज्यादा मानवीय कारकों से खतरा है। लोग जागरूकता के अभाव में अथवा अज्ञानतावश धरोहरों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए। धरोहरों की सुरक्षा और स्वच्छता के लिए सभी लोगों को सहयोग करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि एवं भारतीय पुरातत्य सर्वेक्षण में पूर्व संयुक्त महानिर्देशक डी.एस.पी. ओता ने धरोहरों को प्राकृतिक क्षरण से बचाकर संरक्षित करने में पर्यावरण की भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने के लिए उसके आसपास के पर्यावरण और लैंडस्केप सहित विद्यमान लोक परंपरा को भी सहेजने की जरूरत है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर मंडल के सहायक अधीक्षण पुरातत्वीय अभियंता राहुल तिवारी ने निर्मित धरोहरों के संरचनात्मक अनुरक्षण और संरक्षण तकनीक तथा विधियों के बारे में अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन प्रभारी संग्रहाध्यक्ष डॉ. पी.सी. सारख ने किया।
इस अवसर पर प्रो. एस. एल. कोका. डी. अरूण कुमार, अशोक तिवारी, राहुल कुमार सिंह सहित विभागीय अधिकारी-कर्मचारी व पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के पुरातत्त्व और मानवविज्ञान अध्ययनशाला के विद्यार्थी एवं शोधार्थी तथा नगर के प्रबुद्धजन उपस्थित रहे। पुरातत्वेत्ता प्रभात कुमार सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया।