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केन्द्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान ने उद्यमिता पर आधारित कॉन्क्लेव का किया शुभारंभ, कहा– बस्तर में उद्यमिता को बढ़ाने की पहल सराहनीय

 केन्द्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष  हर्ष चौहान ने आज जगदलपुर के शासकीय काकतीय पीजी काॅलेज के सभाकक्ष में उद्यमिता पर आधारित कॉन्क्लेव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की कुलपति एवं संचालक प्रो. शालिनी भरत, कलेक्टर  रजत बंसल, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी  रोहित व्यास सहित उद्यमी युवा एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे।

इस अवसर पर केन्द्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष  चौहान ने आदिवासी बाहुल्य अंचल बस्तर में जिला प्रशासन की पहल पर उद्यमिता के विकास के लिए थिंक बी के स्थापना की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस अंचल में उद्यमिता को बढ़ावा देने का प्रयास निश्चित तौर पर यहां सबसे अधिक बसने वाली जनजातीय समुदाय को मिलेगा और उनका उत्थान होगा।

 चौहान ने जनजातीय समुदाय की छवि और वास्तविकता में अंतर का पीड़ादायक बताते हुए कहा कि भारत में जनजातीय समुदाय के हितों की रक्षा के लिए संविधान में विशेष प्रावधान किए गए हैं।

उन्होंने आदिवासी समुदाय को उद्यमितापूर्ण मानसिकता का बताते हुए कहा कि वे नौकरी की मानसिकता नहीं रखते हैं। वहीं वे व्यक्तिगत विकास की अपेक्षा सामुदायिक विकास की भावना रखते हैं। वे अपने गांव में रहकर गांव के हित के अनुसार विकास करना चाहते हैं। उन्होंने स्थानीय उपलब्ध संसाधनों के अनुसार उद्यमिता को बढ़ावा दिए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वन संपदा की रक्षा करते हुए उद्यमिता का विकास किया जाना चाहिए।

झाबुआ और बस्तर की विशेष पहचान

 चौहान ने कहा कि आदिवासी बाहुल्य बस्तर और झाबुआ की विशेष पहचान है तथा ये एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने अपने अनुभव सुनाते हुए कहा कि कुछ लोगों को अपना परिचय झाबुआ जिले से देने पर अक्सर बस्तर की याद करते हैं, जो इन दोनों अंचल की निकटता का अनुभव कराता है।

इस अवसर पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की कुलपति एवं संचालक प्रो. शालिनी भरत ने कहा कि वे बस्तर के अपने पहले प्रवास पर बहुत ही खुश हैं, क्योंकि उन्होंने बस्तर के बारे में बहुत कुछ सुना और पढ़ा था। उन्होंने उद्यमिता के लिए मार्गदर्शन और सहयोग के लिए सबसे पहले पहल करने पर बस्तर जिला प्रशासन की जमकर सराहना की। उन्होंने तेजी से बढ़ते शहरीकरण को एक बड़ी समस्या बताते हुए स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने पर जोर देते हुए कहा कि स्थानीय युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित कर यह कार्य आसानी से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में भी उद्यमिता और रचनात्मकता को बढ़ावा दिया जा रहा है तथा बस्तर में उद्यमिता को बढ़ावा देने का प्रयास भी ऐसा ही है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए किए गए त्वरित पहल के लिए भी जिला प्रशासन की सराहना की।

इस अवसर पर कलेक्टर  रजत बंसल ने कहा कि बस्तर में कुछ बहुत अच्छी शैक्षणिक संस्थाएं हैं, जिनके विद्यार्थी आज बहुत अच्छे मुकाम पर हैं। वे वापस बस्तर को कुछ देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध है। यहां के आदिवासी आज भी अपनी परंपरा और संस्कृति से जुड़े हुए हैं, जो बाहरी लोगों के लिए आकर्षण का एक बड़ा केन्द्र है। उन्होंने कहा कि बस्तर के युवाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में आगे ले जाने के लिए बस्तर की ये विशेषताएं अनुकूल रही हैं। इसके साथ ही टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंसेस का साथ मिलने पर इस कार्य को गति मिली है। उन्होंने भविष्य में सभी स्कूल-कॉलेजों में थिंक-बी क्लब खोलने की बात कही, जिससे युवाओं में उद्यमिता की भावना का विकास हो।

पारिस्थितिकी तंत्र के सहयोगियों के साथ होगी चर्चा और दरभा में कॉफी की खेती का करेंगे अवलोकन

उद्यमिता पर आधारित कॉन्क्लेव में पधारे अतिथियों द्वारा बुधवार को जिला कार्यालय के सभाकक्ष में पारिस्थितिकी तंत्र के सहयोगियों के साथ चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही वे दरभा में की जा रही कॉफी की खेती का भी अवलोकन करेंगे। गुरुवार को थिंक बी कार्यालय में उद्यमिता में नवाचार पर युवाओं के विचारों पर मंथन किया जाएगा।

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