कलेक्टर डोमन सिंह के निर्देश में विश्व उच्च रक्तचाप दिवस के मौके पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले स्वास्थ्य केंद्रों में निःशुल्क जांच शिविर का आयोजन किया जाएगा। गौरतलब है कि हमारे शरीर में रक्त का प्रवाह एक निश्चित गति से होता है। मेडिकल निर्देशों की बात करें तो शरीर में रक्त का दबाव 120/80mmHg से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि यह प्रवाह इस निश्चित सीमा को पार कर जाता है तो ऐसे में शरीर में उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन की स्थिति पैदा हो जाती है। हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप ना सिर्फ़ नसों के लिए ख़तरनाक है बल्कि ये शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों जैसे हृदय और दिमाग़ को भी नुक़सान पहुँचा सकता है। लोगों में इसी रोग के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए हर वर्ष 17 मई को विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष भी जिले में प्रत्येक स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्रों पर लोगों का ब्लड प्रेशर एवं शुगर माप कर उन्हें इस बाबत जागरूक करते हुए परामर्श दिए जाएंगे। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एम पी महिस्वर ने दी। गैर संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ राकेश कुमार प्रेमी के अनुसार हाइपरटेंशन दो प्रकार का होता है-एक प्राइमरी हाइपरटेंशन जिसमें बढ़ती उम्र के साथ उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है। इस स्थिति में लोग दवाइयों के द्वारा अपने रक्तचाप को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।
दूसरा सेकेंडरी हाइपरटेंशन है जो किसी बीमारी या उसके इलाज के तहत लेने वाली गोलियों के कारण होती है। सेकेंड्री हाइपरटेंशन कम उम्र में भी हो सकता है। इसी के साथ ये मानसिक स्थिति के सही न होने पर भी काफ़ी बढ़ जाता है ज्यादातर मामलों में लोगों में प्राइमरी हाइपरटेंशन की शिकायत होती है। पचास प्रतिशत लोगों को तो इसका ज्ञान ही नहीं हो पाता कि उन्हें हाइपरटेंशन नामक रोग हो गया है क्योंकि शुरुआत में इसके कोई लक्षण ही दिखाई नहीं पड़ते। गंभीर होने पर सर में दर्द होना,चक्कर आना,पेशाब के साथ खून आना यह कुछ लक्षण दिखाई देते हैं।
हाइपरटेंशन नियंत्रित ना होने पर इसके कारण शरीर के अन्य दूसरे अंग तेजी से प्रभावित होते हैं जैसे हार्ट अटैक का यह सबसे बड़ा कारण माना जाता है। इसके अतिरिक्त इसके कारण ब्रेन स्ट्रोक तथा किडनी भी खराब हो सकती है साथ ही या आंखों की रेटिना पर भी दुष्प्रभाव डालता है ।
हाइपरटेंशन को स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर रोकने का प्रयास किया जा सकता है। किसी प्रकार का नशा न करना,संतुलित आहार लेना,वजन को कम करना प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज,भोजन में नमक का सेवन कम करना,योग ध्यान आदि के सतत प्रयोग से इससे बचा जा सकता है।