जनसंपर्क विभाग द्वारा राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं की उपलब्धियों और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर आधारित फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। विकास प्रदर्शनी में जनकल्याणकारी योजनाओं, विकास कार्यों एवं उपलब्धियों को आकर्षक ढंग से फोटो और वीडियो के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी में राजीव गांधी किसान न्याय योजना, स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल, दाई दीदी क्लीनिक, राम वन गमन परिपथ, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, गोधन न्याय योजना सहित राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं की जानकारी फोटो-वीडियो के माध्यम से दी जा रही है।
आज गरियाबंद जिले के विभिन्न विकासखंडों से पंचायत एवं नगरी निकाय के जनप्रतिनिधियों सहित अन्य नागरिकों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और इसकी सराहना की। प्रदर्शनी देखने आए ग्रामीणों ने धन्वंतरि जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना की सराहना करते हुए कहा कि इसके माध्यम से अच्छी गुणवत्ता की सस्ती दवाएं उपलब्ध हो रही है। यह योजना पंचायत स्तर पर भी लागू होना चाहिए। जिससे लोगों को महंगाई के समय में अच्छी गुणवत्ता की सस्ती दवाइयों का लाभ मिल सकेगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य के अलग-अलग शहरों में 194 धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर्स खोलने का लक्ष्य है, इनमें से 159 दुकानों का संचालन वर्तमान में किया जा रहा है। योजना से अब तक कुल 17 लाख 92 हजार ग्राहकों को लाभ मिला है। इससे दवा खरीदने वाले ग्राहकों को कुल 17 करोड़ 38 लाख रूपए की बचत हुई है।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गरीब से गरीब व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के अंतर्गत 20 अक्टूबर 2021 से धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत राज्य के शहरी क्षेत्रों में जेनेरिक मेडिकल स्टोर्स की स्थापना की गई है।
धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर्स में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से 50 प्रतिशत से 72 प्रतिशत कम कीमत पर लोगों को दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन मेडिकल स्टोर्स में 251 प्रकार की जेनेरिक दवाईयां तथा 27 सर्जिकल उत्पाद की बिक्री अनिवार्य है। इसके अलावा वन विभाग के संजीवनी के उत्पाद, सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद और शिशु आहार आदि का भी विक्रय इन मेडिकल स्टोरों में किया जा रहा है। राज्य के वनवासियों द्वारा तैयार किये गये आर्गेनिक उत्पादों (संजीवनी के उत्पादों) का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने की अपील भी की गई है, जिससे आदिवासी लोगों के प्रयास को भी बढ़ावा मिल सके।