रायपुर. पलारी क्षेत्र के 27 वर्षीय दृष्टिहीन छात्र उत्तम कुमार वर्मा ने जीवन में आए कठिन संघर्षों से जूझते हुए सफलता हासिल की है. सफलता की कहानी अब बाकी लोगों के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है. कहते हैं न अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात आपको वो चीज दिलाने में जुट जाती है, कुछ ऐसा ही बलौदाबाजार जिले के ग्राम दतान निवासी उत्तम कुमार के साथ हुआ है.
हंसराज कॉलेज ने उसे यह समझाया कि किस तरह से अच्छा वक्ता बन सकते हैं. अध्ययन के दौरान उत्तम को यह समझ में आ चुका था कि बाहर भी एक बहुत बड़ी दुनिया है. उत्तम को जेएनयू जाने का मौका मिला पर वहां उन्होंने अपने आप को सबसे अलग पाया. उसे हिचकिचाहट होती थी और इस बात का भ्रम और डर दोनों ही था कि शायद उत्तम जेएनयू के वातावरण में खुद को ढाल न सके. उत्तम की अंग्रेजी भी अच्छी नहीं थी, लेकिन उनके कई मित्रों ने अपने डर पर उन्हें विजय प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया.
उत्तम के पिता सामान्य किसान और मां गृहणी
बचपन में जब रायपुर के दृष्टि बाधित स्कूल में उत्तम का दाखिला हुआ तो वे स्कूल छोड़कर अपना घर जाना चाहते थे. उनको पढ़ने में बिलकुल मन नहीं लगता था. उनके पिताजी कृषक हैं. अपने घर तथा पास के अन्य गांवों में अखंड नवधा रामायण में टीकाकार का काम करते हैं. पिता के दिए हुए संस्कार उत्तम में कूट कूट कर भरे थे. उन्होंने रामायण के दोहा और चैपाई अपने पिताजी के माध्यम से कंठस्थ कर लिए थे. ये उनकी सबसे बड़ी खासियत थी. उनकी मां गृहणी हैं.
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
जिंदगी में आई इतनी कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी जिस तरह से उत्तम ने अपनी सफलता की कहानी बुनी है उसने इस बात को भी सिद्ध कर दिया है कि लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. बता दें कि उत्तम कुमार बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति हैं. संगीत से उन्हें काफी ज्यादा लगाव है. वहीं उनका चंडीगढ़ विवि से पीएचडी जारी है, वे यथा शीघ्र पीएचडी भी पूर्ण कर लेंगे. बीते मंगलवार को ही उत्तम का असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति पत्र आया है.