मध्यप्रदेश

साइबर तहसील 2.0 का मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किया शुभारंभ

भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश सरकार की अभिनव पहल साइबर तहसील 2.0 का शुभारंभ मंगलवार को मंत्रालय में किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में सुशासन के अंतर्गत संचालित साइबर तहसील 1.0 की सफलता के बाद प्रदेश सरकार की अभिनव पहल है। साइबर तहसील 2.0 में संपदा से प्राप्त अविवादित आंशिक खसरों के क्रय विक्रय आधारित नामांतरण प्रकरणों में क्षेत्रीय तहसील स्तर पर एण्ड टू एण्ड ऑनलाइन सिस्टम के माध्यम से त्वरित निराकरण किया जायेगा।

प्रमुख राजस्व आयुक्त श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में प्रतिवर्ष अविवादित नामांतरण के प्रकरणों में औसतन 2 लाख प्रकरण संपूर्ण खसरे के क्रय विक्रय के और 6 लाख प्रकरण आंशिक क्रय विक्रय से संबंधित होते हैं। साइबर तहसील 1.0 के अंतर्गत अब तक संपूर्ण क्रय विक्रय वाले खसरों का ऑनलाइन नामांतरण तो हो ही रहा था लेकिन अब साइबर तहसील 2.0 के अंतर्गत आंशिक क्रय विक्रय संबंधी प्रकरणों को भी ऑनलाइन व्यवस्था से जोड़ दिया गया है। इस प्रकार क्रय विक्रय से सम्बंधित 8 लाख नामांतरण प्रकरणों का निराकरण अब साइबर तहसील के माध्यम से किया जायेगा।

साइबर तहसील 2.0 की नवीन व्यवस्था के अंतर्गत प्रकरण दर्ज होते ही पोर्टल द्वारा स्वतः ही ऑनलाइन सूचना पत्र, पटवारी मेमो और प्रथम पेशी दिनांक जारी किए जा सकेंगे। नागरिको को दावा आपत्ति संबंधी लिंक, आदेश प्रति, अद्यतन खसरा और नक्शों की प्रतियां एसएमएस, व्हाट्सअप्प या ईमेल के माध्यम से घर बैठे प्राप्त होंगी। पटवारी प्रतिवेदन, खसरा नक्शा ड्राफ्ट सम्बंधित कार्य ऑनलाइन कर सकेंगे। राजस्व विभाग के इस नवाचार के लागू होते ही पहले जहां नामांतरण प्रक्रिया में औसतन 70 से 100 दिवस लगा करते थे अब वही कार्य 25 दिवसों के भीतर पूर्ण किया जा सकेगा।

राजस्व विभाग के इस के नवाचार साइबर तहसील 2.0 से नागरिकों को भी कम से कम समय में नामांतरण उपरांत आदेश और खसरे एवं नक़्शे की अद्यतन प्रति ऑनलाइन ई-मेल और व्हाट्सएप के माध्यम से घर बैठे ही प्राप्त हो जावेगी।

प्रमुख राजस्व आयुक्त ने बताया कि साइबर तहसील 2.0 की स्वचलित प्रणाली के लागू होने से न केवल शासन के प्रति नागरिकों में विश्वसनीयता बढ़ेगी अपितु क्षेत्रीय तहसील स्तर पर कार्यरत अधिकारियों एवम् कर्मचारियों की कार्यदक्षता में भी वृद्धि होगी। नागरिकों को न्यायालय बार बार आने-जाने की आवश्यकता नहीं होने से पैसों और समय की भी बचत होगी। इससे अविवादित प्रकरणों का निराकरण, विधिपूर्ण उन्नत तकनीक की सहायता से किया जा सकेगा। साथ ही तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार विवादित प्रकरणों के निराकरण में अधिक समय दे सकेंगे जिससे विवादित प्रकरण भी आपसी सहमति से त्वरित निराकृत होंगे। आधुनिक तकनीक के उपयोग और इस बहुउद्देशीय प्रणाली से नागरिक को एण्ड टू एण्ड रजिस्ट्री से नामान्तरण तक की सुविधा आरसीएमएस पर कम से कम समय में रियल टाइम में ऑनलाइन सिस्टम घर बैठे ही प्राप्त हो सकेगी।

 

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