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घर खरीदने में नहीं दिलचस्पी लेकिन किरायेदार बनना ज्यादा पसंद, जानें क्या है मामला

दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में एक समय प्रॉपर्टी में निवेश करना लोगों का सपना हुआ करता था. लोगों ने यहां पर फ्लैट और अन्य प्रॉपर्टी पर जमकर निवेश किया. यही वजह थी कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में गगनचुंबी इमारतें खड़ी हो गईं और देखते ही देखते प्रॉपर्टी के दाम आसमान छूने लगे. हालांकि, अब पिछले कुछ समय से लोग यहां घर खरीदने से बच रहे हैं. उनको घर खरीदने से ज्यादा दिलचस्पी किरायेदार बनने में हैं. यही वजह है कि किराये के दामों में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली है।

किराए में 25 फीसदी वृद्धि

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नोएडा के कई हिस्सों में पिछले एक साल के दौरान किराये में 25 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. वहीं, घरों की बिक्री में कमी आई है. वहीं, जिले का स्टाम्प एंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट लक्ष्य के मुकाबले 50 फीसदी आमदनी ही कर सका है.

कोविड के बाद असर

विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना के बाद घर खरीदने में लोगों ने दिलचस्पी दिखानी कम कर दी है. इसके पीछे की वजह वर्क फ्रॉम होम कल्चर (घर से काम) है. दिल्ली-एनसीआर में जॉब करने वाले लोग अपने गृह राज्यों में चले गए हैं और वहीं से कार्य कर रहे हैं. वहीं, कई लोगों को कोविड-19 महामारी के बाद से नौकरी जाने का डर सताने लगा है. महंगे होम लोन की वजह से लोग अब किराये के घरों में रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. यही वजह है कि मकान मालिकों ने भी किराये के दामों में बढ़ोतरी कर दी है।

इतनी बढ़ी मांग

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले एक साल के दौरान नोएडा में किराये की संपत्तियों की मांग 12.5% बढ़ी है. वहीं, ग्रेटर नोएडा में यह बढ़ोतरी 37 फीसदी तक पहुंच गई है. जबकि, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में किराये के दामों में 20 फीसदी का इजाफा देखा गया है. वहीं, किराये के लिए प्रॉपर्टी की आपूर्ति काफी कम है. यही वजह है कि डीलरों और मकान मालिकों ने किराया बढ़ा दिया है. वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली-एनसीआर में घरों की खरीदारी में गिरावट दर्ज की गई है।

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