आतंकियों पर रहम नहीं, 9/11 के मास्टरमाइंड की सजा-ए-मौत तय; US की सख्ती
वॉशिंगटन
अमेरिका ने 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड खालिद शेख मोहम्मद और उसके साथियों, वालिद बिन अताश और मुस्तफा अल-हौसावी पर कोई रहम नहीं दिखाने का फैसला किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने आरोपी मास्टरमाइंड के साथ समझौते को रद्द करते हुए इन सबकी मौत की सजा बहाल कर दी। ऐसा उस समझौते की घोषणा के ठीक दो दिन बाद हुआ, जिसमें मौत की सजा को करीब-करीब खत्म कर दिया गया था। हालांकि इससे हमले में मारे गए लोगों के परिजनों का गुस्सा भड़क उठा था।
खालिद 2003 में पाकिस्तान में पकड़ा गया था और उसे तथा उसके साथ मिल कर साजिश रचने के आरोप का सामना करने वालों को अमेरिकी जांच एजेंसी सीआईए की एक गोपनीय जेल में रख कर उनसे पूछताछ की गयी थी। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले में उस समय तक न्यूयार्क शहर की पहचान बन चुकी दो जुड़वां गगनचुंबी इमारतें (टि्वन टावर) ध्वस्त हो गयी थीं और करीब तीन हजार लोग मारे गए थे।
क्यूबा के ग्वांतानामो बे में सैन्य आयोग ने घोषणा की थी कि युद्ध अदालत की देखरेख के लिए नियुक्त अधिकारी, रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल सुसान एस्कैलियर ने मुख्य आरोपी खालिद शेख मोहम्मद और उसके दो कथित सहयोगियों, वालिद बिन अताश और मुस्तफा अल-हौसावी के साथ एक दलील समझौते को अंतिम रूप दिया था। अलकायदा के हमलों में मारे गए करीब 3,000 लोगों के परिवारों को पत्र भेजकर सूचित किया गया था कि तीनों आरोपी आजीवन कारावास की सजा काटेंगे। शुक्रवार को याचिका समझौता रद्द करने के अपने आदेश में अमेरिकी रक्षा मंत्री ने लिखा कि उन्होंने फैसला किया है कि वह अंतिम निर्णय लेने के लिए अधिकृत हैं। इस तरह उन्होंने ब्रिगेडियर जनरल सुसान एस्कैलियर के पूर्व के फैसले को रद्द कर दिया।
गौरतलब है कि पीड़ितों के परिवार भी इस याचिका के खिलाफ थे। उन्होंने आतंकी हमले के आरोपियों को राहत देने के फैसले की आलोचना की थी। कुछ रिपब्लिकंस ने इसको लेकर बाइडेन प्रशासन को दोषी ठहराया था। हालांकि बाइडेन प्रशासन का कहना था कि डील से जुड़ी बारीकियों की उन्हें जानकारी नहीं है। खालिद पर 2008 में हमले की साजिश, युद्ध के कानून के उल्लंघन और हत्या , नागरिकों और सार्वजनिक सम्पत्तियों हमला, संपत्तियों को नष्ट करना, जानबूझकर लोगों गंभीर शारीरिक क्षति पहुंचाना और आतंकवाद और आतंकवाद के लिए भौतिक सहायता सहित कई अपराधों में मामला दायर किया गया है।
खालिद और उसके साथ मिल कर षडयंत्र करने वाले आरोपियों के खिलाफ सैन्य कानून के तहत मुकदमे में देरी हुई क्योंकि 2000 के दशक में अमेरिकी अदालत को सीआईए की गुप्त जेल में खालिद और अन्य से जो साक्ष्य प्राप्त किए गए थे उन साक्ष्यों को अदालत में प्रामाणिकत करने में समय लगा। यह मुकदमा 11 जनवरी, 2021 को शुरू होना था, लेकिन दो न्यायाधीशों के इस्तीफे और कोरोना महामारी के कारण इसमें देरी हुई।