मध्यप्रदेश

राजस्व विभाग की सेवाओं के प्रदाय को सायबर तहसील के माध्यम से अधिक जनहितैषी बनाया गया

भोपाल
राजस्व विभाग की सेवाओं के प्रदाय को सायबर तहसील के माध्यम से अधिक जनहितैषी बनाया गया है। सायबर तहसील के माध्यम से नामांतरण की सेवा में मानवीय हस्तक्षेप आंशिक करते हए, नामांतरण प्रकरणों का न्यूनतम समय में निराकरण करने एवं नामांतरण आदेश उपरांत भू-अभिलेखों में अमल सुनिश्चित करने, सत्यापित भू-अभिलेखों की प्रति नागरिकों को रियल टाइम में उपलब्ध कराने में सहायक हुई है। प्रदेश में 29 फरवरी 2024 से सभी जिलों में सायबर तहसील परियोजना लागू की गई है। प्रदेश में सायबर तहसील की स्थापना के पूर्व रजिस्ट्री के उपरांत नामांतरण कराये जाने एवं उसका अमल भू-अभिलेखों में कराये जाने के सम्बन्ध में नागरिकों को विभिन्न कार्यालयों में जाना होता था। सायबर तहसील की स्थापना से अब अविवादित नामांतरण के प्रकरण रजिस्ट्री के बाद ऑनलाइन निराकृत हो रहे हैं। आम नागरिकों को इससे सुविधा हो गई है। सायबर तहसील की अवधारणा को साकार करने के लिये म.प्र. भू-राजस्व संहिता, 1959 में संशोधन के बाद, सायबर तहसील की प्रक्रिया नियम, 2022 बनाये गए हैं। सायबर तहसील को साकार रूप प्रदान किये जाने के लिये आरसीएमएस पोर्टल में सायबर तहसील मॉड्यूल प्रारंभ किया गया है।

72 हजार प्रकरणों का निराकरण
प्रदेश में सायबर तहसील में लगभग 72 हजार से अधिक मामलों का निराकरण किया गया है तथा भू-अभिलेख में शत-प्रतिशत अमल किया जाकर, नागरिकों को रियल टाइम में नामांतरण आदेश एवं अद्यतन अभिलेख की प्रतियां डिजिटल स्वरूप में (व्हाटसएप, ई-मेल) उपलब्ध कराई गई हैं। इसके लिये चार अलग-अलग पोर्टल (आरसीएमएस, वेब जीआईएस (भूलेख), संपदा, सारा) से इंटिग्रेशन का कार्य किया गया है। प्रथम चरण में सायबर तहसील में सम्पूर्ण खसरा भूमि के विक्रय-पत्रों का नामांतरण प्रारम्भ किया गया है, जिसका विस्तार सभी प्रकार के अविवादित नामांतरण एवं बंटवारे के मामलों के लिए निकट भविष्य में किये जाने की योजना है।

सायबर तहसील की प्रमुख विशेषताएं
सायबर तहसील "सिंगल विंडो" सुविधा के माध्यम से नामांतरण होता है। रजिस्ट्री के बाद कहीं भी जाने की जरूरत नहीं। एण्ड-टू-एण्ड ऑनलाइन पेपरलेस प्रणाली है। रियल टाइम में भू-अभिलेखों का अपडेशन होने के साथ पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होती है। इसमें सार्वजनिक सूचनाएं आरसीएमएस पोर्टल पर प्रदर्शित होती हैं। इसके साथ इसमें दावे एवं आपतियाँ ऑनलाइन प्रस्तुत करने की सुविधा है। पटवारी रिपोर्ट भी ऑनलाइन होती है। मामलों के निराकरण की औसत अवधि 17 से 20 दिन है। सायबर तहसीलदार द्वारा पारित आदेश की प्रति नागरिकों को ई-मेल / व्हाट्स-एप के माध्यम से रियल टाइम में भेजी जाती है।

पुरस्कार और सम्मान
राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई सायबर तहसील उसका ईटी गवर्मेंट डिजिटेक पुरस्कार श्रेणी में 2023 में नागरिक सेवा वितरण के डिजिटलीकरण में उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इसके साथ डिजिटल इंडिया ई-गवर्नेस अवार्ड के तहत ईएलईटीएस इंडिया इनोवेशन अवार्ड-2023 से पुरस्कृत किया गया।

विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधिमंडलों ने किया दौरा
प्रदेश में शुरू की गई सायबर तहसील परियोजना को समझने और परियोजना का अनुसरण करने के लिये विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधिमंडलों ने सायबर तहसील व्यवस्था को समझा है। आंध्रप्रदेश एवं उत्तराखंड की टीम ने राज्य का दौरा कर प्रणाली को समझा और इसे अपने राज्य में लागू करने के लिये अधिकारियों से चर्चा की। साथ ही डीओएलआर भारत सरकार के संयुक्त सचिव के नेतृत्व में दल द्वारा राज्य का दौरा किया गया। गुजरात राज्य के बिसेग-एन अहमदाबाद के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने सायबर तहसील प्रणाली का अध्ययन करने दौरा किया। लबासना मसूरी में फेज-2 अधिकारियों को सायबर तहसील की प्रस्तुति भी दी गई है।

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