कठुआ हमले से ठीक पहले ट्रक ने किया था सेना के काफिले को ओवरटेक, वाहन स्लो होते ही हो गया अटैक
कठुआ
जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में सेना के वाहनों पर अटैक मामले में सुरक्षा एजेंसियां हमलावर आतंकवादियों की तलाश में जुटी हैं. इस बीच, जांच में पता चला है कि हमले से ठीक पहले पहाड़ी पर एक ट्रक ने सेना के काफिले की गाड़ियों को ओवरटेक किया था. जैसे ही सेना के वाहन स्लो हुए तो आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी और हमले में 5 जवान शहीद हो गए. 5 अन्य घायल हो गए.
घटना 7 जुलाई की है. सुरक्षा एजेंसियों को शुरुआत से ही बड़ी साजिश की आशंका है. इसलिए मामले में 51 संदिग्धों से पूछताछ हो रही है. अधिकारियों का कहना था कि आतंकवादियों की तलाश की जा रही है. एक ट्रक चालक और 50 अन्य को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है.
गोलीबारी होते ही स्लो हो गया था ट्रक
अधिकारियों के अनुसार, माचेडी-किंडली-मल्हार पहाड़ी सड़क पर सेना के वाहनों के पीछे एक ट्रक चल रहा था. लेकिन, लोहाई मल्हार में बदनोटा गांव के पास जब आतंकवादियों ने सेना के वाहनों पर दो अलग-अलग दिशाओं से गोलीबारी शुरू की तो यह ट्रक स्लो हो गया.
जानबूझकर तो नहीं पास मांग रहा था ट्रक?
ट्रक चालक पर संदेह जताया जा रहा है. अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या इस ट्रक ड्राइवर ने पुलिया पर ओवरटेक मांगकर जानबूझकर सैन्य काफिले को निकलने में देरी करवाई है? माना जा रहा है कि ट्रक चालक ने जानबूझकर पुलिया पर पास (ओवरटेक) मांगा था.
एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, आमतौर पर इन क्षेत्रों में सेना के वाहनों को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन ट्रक ने फिर भी पास मांगा, जिससे दोनों वाहनों की स्पीड धीमी हो गई.
आतंकियों को मार गिराने के लिए सर्च ऑपरेशन
फिलहाल, चार जिलों के घने जंगलों में भारी बारिश के बीच सेना और पुलिस द्वारा बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. कठुआ, उधमपुर और भद्रवाह से सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया है. हमले के संबंध में पूछताछ के लिए 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है. जंगल में छिपे आतंकवादियों का पता लगाने और उन्हें मार गिराने के प्रयास किए जा रहे हैं.
सेना की टीमें डोडा जिले के ऊंचे इलाकों में भी तलाशी अभियान चला रही हैं. उधमपुर, सांबा, राजौरी और पुंछ जिलों के विभिन्न हिस्सों में घने जंगलों में सेना और पुलिस के जवान तैनात हैं. सुबह कई इलाकों में फिर तलाशी शुरू की गई.
ग्राम रक्षा समूह स्थापित करने की मांग
बदनोटा गांव और आसपास के लोगों ने हमले के बाद सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है और आतंकवादी खतरों से निपटने के लिए ग्राम रक्षा समूहों की स्थापना की मांग की है. स्थानीय निवासियों ने सरकार से हथियार और प्रशिक्षण उपलब्ध कराने का आग्रह किया है ताकि वे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा बलों का समर्थन कर सकें.
हेलिकॉप्टर और यूएवी की मदद ली जा रही है. सर्च टीमें डॉग स्क्वायड और मेटल डिटेक्टरों की सहायता से जंगल खंगाल रही हैं.. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जांच में पुलिस की सहायता कर रही है. जबकि विशेष बल यूनिट सर्जिकल ऑपरेशन कर रही हैं. एक अधिकारी ने कहा, स्थानीय लोग आतंकवाद के खिलाफ हैं और शांति और सुरक्षा के संकल्प के साथ एकजुट हैं. वे इलाके से आतंकवाद को खत्म करने में सुरक्षा बलों की सहायता के लिए तैयार हैं.
हथियार और प्रशिक्षण दे सरकार
स्थानीय निवासी जगदीश राज ने कहा, सरकार को हमें हथियार और प्रशिक्षण देना चाहिए. हम आतंकवादियों के खिलाफ अपनी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के लिए तैयार हैं. 20 वर्षीय छात्र पंकज ने कहा कि आतंकवादियों ने स्थानीय लोगों में डर पैदा कर दिया है, लेकिन जब आपके हाथों में हथियार होते हैं तो स्थिति पूरी तरह से बदल जाती है.
उन्होंने क्षेत्र के स्थानीय युवाओं के लिए विशेष भर्ती अभियान की मांग की और कहा, हम तेजी से जंगलों में जा सकते हैं और आतंकवाद के खतरे से निपटने में मदद कर सकते हैं. शाहिद अहमद ने कहा कि इलाके के मुसलमान और हिंदू शांति चाहते हैं और आतंकवाद को खत्म करने में सुरक्षा बलों की मदद करने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा, अपने सैनिकों को खोने पर हमारी आंखें भर आईं. दो दशक पहले आतंकवाद के चरम के दौरान भी (यहां) ऐसा हमला कभी नहीं हुआ था. उन्होंने कहा कि सरकार को लड़ने के लिए हथियार और प्रशिक्षण मुहैया कराना चाहिए.
अहमद ने कहा कि ग्रामीण अपने पशुओं के साथ ऊपरी इलाकों में चले गए हैं. उन्होंने कहा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम अपनी सेनाओं के साथ हैं.