मण्डला नगर में ऐतिहासिक पुलो की स्तिथिति जर्जर मरम्मत की सख्त जरूरत
मण्डला नगर में ऐतिहासिक पुलो की स्तिथिति जर्जर मरम्मत की सख्त जरूरत
मण्डला
मण्डला शहर में यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए समय-समय पर छोटे-बड़े पुलों का निर्माण कराया गया है जिससे लोग बारिश के दिनों में भी आसानी से ने आवागमन कर सके। शहरी क्षेत्र में बने अधिकांश पुल सालों पुराने होने से ये अब जीर्ण-शीर्ण हालत में पहुंच गए हैं लेकिन इनका सुधार या मरम्मतीकरण नहीं कराया जा रहा है जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। शहर के सभी पुलों की हालत काफी खराब है।
बुधवारी पुल जब से बना नही हुई कोई मैंटेनेस
बुधवारी बाजार को किले एवम महाराजपुर पुरवा को जोड़ने के लिए पुल का निर्माण कराया गया था, इस पुल के निचली सतह में लगाई गई मोटी सरिया का अधिकांश हिस्सा बाहर निकल आया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि किले को जोड़ने वाला यह पुल एतिहासिक स्थल गोंड राजाओं द्वारा बनाए गए बुर्ज, महल, मंदिर तक पहुंचने का मार्ग सुगम बनाता है। तेज बाढ़ के समय यहां पुल के नीचे से नर्मदा नदी का बाढ़ का पानी बहता है, पुल की उंचाई पर्याप्त रहने से नदी का स्तर अधिक होने के बाद भी यातायात पुल से सुरक्षित बना रहता है, इतने महत्वपूर्ण पुल होने के बाद भी इसका मेंटनेंस पिछले कई सालों से नहीं किया गया है। भले ऊपरी सतह में पुल मजबूत नजर आ रहा हो लेकिन इसका निचला भाग लगातार जर्जर हालत में पहुंच रहा है।
सब्जी बाजारः पुल की रेलिंग गायब
सब्जी बाजार के पास निर्मित पुल भी जीर्ण-शीर्ण हालत में पहुंच गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस पुल का निर्माण आज से करीब 30-35 साल पहले कराया गया था। स्थानीय लोगों ने बताया कि मरम्मतीकरण नहीं होने से रैलिंग जर्जर होकर टूट गई है। यही नहीं पुल का उपरी हिस्सा इस तरह जर्जर हो गया है कि यहां पर मुर्रम भरकर वाहनों के आने-जाने लायक बनाया गया है।
ऐतिहासिक है उदय चौक का पुल
शहर के बीच स्थित उदय चौक के पास बड़ी खाई में बना पुल दिखने में तो आज भी पूरी मजबूती से खड़ा दिखाई देता है जबकि इसके बाद बने पुलों में मरम्मत की दरकार है, खाई में बने पुल को लगातार नुकसान यहां फेंकी जाने वाली तरह-तरह की गंदगी, कचरा से हो रहा है। स्थानीय व्यापारियों द्वारा पुल के आसपास रोजाना कई क्विंटल कचरा फेंका जा रहा है। यहीं नहीं आए दिन इस कचरे में आग लगा दी जाती है यह आग लगातार पुल को नुकसान पहुंचा रहा है। जानकारी अनुसार शहर में बाढ़ का पानी जमा न हो, इसके लिए उदय चौक के पास बड़ी खाई का निर्माण आज से वर्षों पहले कराया गया था, बताया यह भी जाता है कि यहां एक समय नदी का पानी होने से नाव भी चला करती थी। शहर के दो हिस्सों को जोड़ने पुल की अहम भूमिका है।
सहकारी बैंक के पास का पुल हो चुका है उम्र दराज
रानी अवंती बाई स्कूल के पास बने पुल को तो संबंधित लोक निर्माण विभाग द्वारा स्वयं जर्जर घोषित किया जा चुका है। यहां विभाग द्वारा एक बोर्ड भी लगाया गया था जिसमें इस पुल से भारी वाहनों के गुजरने पर प्रतिबंधित किया गया था लेकिन बोर्ड लगाने के बाद अधिकारियों ने पलटकर नहीं देखा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि पुल से समय-समय में लोडेड ट्रक आदि भारी वाहन गुजरते हैं, विभाग द्वारा भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक के लिए जो बोर्ड लगाया गया था वह बोर्ड तो है लेकिन उसमें लिखी सूचना अब दिखाई नहीं देती। पुल अपनी उम्र जी चुका है उसे अब नया बनाने की आवश्यकता है।
बनाये जाए सभी नए पुल
नगर के चारो पुल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे है। बढ़ती जनसंख्या एवम वाहनों के बढते दबाव को झेलने में यह पुल अक्षम साबित हो रहे है। कमानिया पुल में तो हर दिन जाम की स्थिति बनती है।इस पुल को वर्तमान समय के हिसाब से बनाया जाना चाहिए।यहाँ बढ़ते आवागमन के हिसाब से इसकी चोड़ाई बढ़ाना अब अनिवार्य हो गया है।पुल नया बने एवम चोड़ा भी बनाया जाना चाहिए।