मध्यप्रदेश

धार नगर पालिका ने सर्वे कार्य में सवा करोड़ रुपये किए खर्च, अब पेमेंट के लिए अधिकारी परेशान

धार
 नगर पालिका की वित्तीय स्थिति पहले ही कमजोर है। इस पर भोजशाला का सर्वे का बोझ भी आन पड़ा है। भोजशाला सर्वे के लिए बैरिकेड्स लाइटिंग, सीसीटीवी कैमरे, टेंट से लेकर कम्प्यूटर आदि का इंतजाम किया था। इस पर करीब सवा करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं, लेकिन इसका भुगतान अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है।

बता दें कि नगर पालिका ने धार कलेक्टर को पांच जून को इस बारे में एक पत्र भी लिखा था। इसमें भुगतान करवाए जाने की मांग की गई थी। पत्र में कहा गया कि यह राशि उपलब्ध करवाई जाए, ताकि संबंधित ठेकेदारों का भुगतान किया जा सके। इस पत्र को लिखे जाने के करीब 25 दिन बाद भी नगर पालिका को लोक निर्माण विभाग से भुगतान नहीं मिला है।

गौरतलब है कि भोजशाला का सर्वे कार्य 22 मार्च से शुरू हुआ था। ऐसे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने पुलिस और प्रशासन को पत्र लिखकर विभिन्न इंतजाम करने के लिए कहा था। इसी के चलते नगर पालिका द्वारा भोजशाला परिसर में और अन्य क्षेत्र में व्यवस्था की गई थी।

बजट उपलब्ध कराने की मांग

वर्तमान में निकाय की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। इस कार्य में हुए व्यय का भुगतान करना संभव नहीं है। नगर पालिका ने एक पत्र का हवाला देकर कहा कि इसके लिए एक करोड़ 25 लाख रुपये का बजट उपलब्ध कराया जाए। कलेक्टर को लिखे हुए पत्र में बताया गया कि लोक निर्माण विभाग को जो पत्र लिखा गया था, उसके अनुसार आज तक बजट उपलब्ध नहीं हुआ।

इधर, ठेकेदार द्वारा बार-बार भुगतान की मांग की जा रही है। कहा जा रहा है कि राशि का भुगतान नहीं होने पर टेंट उपलब्ध नहीं कराया जा सकेगा। पत्र में यह भी लिखा गया था कि सर्वे कार्य प्रभावित हो सकता है। यह बात अलग है कि सर्वे कार्य हो गया है। वहीं नगर पालिका शासन के संबंधित विभाग से कोई राशि नहीं मिली है। ऐसे में 85 लाख की यह रकम अब बढ़कर करीब एक करोड़ 25 लाख तक पहुंच गई है।
सर्वे पर और भी खर्च

धार की ऐतिहासिक भोजशाला का सर्वे न सिर्फ नगर पालिका, बल्कि एएसआई के लिए भी महंगा पड़ा है। दरअसल, लगातार 100 दिनों तक अधिकारियों व कर्मचारियों के खाने, ठहरने व आने-जाने इंतजाम किया गया। वहीं, प्रतिदिन औसत 40 से अधिक मजदूरों द्वारा कार्य करवाया गया। इस तरह से तीन माह में करीब चार हजार मानव कार्य दिवस का भुगतान करना है। इसके अलावा अधिकारियों के दिल्ली व हैदराबाद के आने जाने के खर्चे भी हुए। देखा जाए तो भोजशाला की इस तरह की व्यवस्था बनाने पर एक बड़ी रकम खर्च हुई है।

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