मुंबई की ट्रेन में यात्रियों को जानवरों की तरह यात्रा करते देखना शर्मनाक: कोर्ट
मुंबई
बॉम्बे हाई कोर्ट ने रेलवे से सवाल किया कि क्या वो लोकल ट्रेनों में होने वाली मौतों को रोक पाया है। कोर्ट ने कहा कि यात्रियों को जानवरों से भी बदतर हालत में सफर करना पड़ता है। चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर ने कहा कि यह आपकी जिम्मेदारी और कर्तव्य है। आपको लोगों की जान बचाने के लिए अदालत के निर्देशों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। ये बात उन्होंने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कही। याचिका में लोकल ट्रेन सेवा पर होने वाली मौतों के संभावित कारणों और स्थिति से निपटने के सुझाव दिए गए थे। चीफ जस्टिस ने कहा कि मुझे शर्म आती है। जिस तरह से लोकल ट्रेनों में यात्रियों को सफर कराया जाता है।
टोक्यो के बाद मुंबई सबसे ज्यादा व्यस्त
याचिका में कहा गया है कि मुंबई उपनगरीय रेलवे टोक्यो के बाद दुनिया का दूसरा सबसे व्यस्त रेलवे है। मगर यहां हर साल 2,000 से ज्यादा मौतें होती हैं। इनमें से 33.8 फीसदी मौतें पटरियों पर होती हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि जहां यात्रियों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है, वहीं रेलवे स्टेशनों पर बुनियादी ढांचा पुराना और खस्ताहाल है। याचिकाकर्ता यतिन जाधव की ओर से पेश हुए वकील रोहन शाह और सुरभि प्रभुदेसाई ने दलील दी कि रेलवे पटरियों को पार करते समय ट्रेन से गिरने या प्लेटफॉर्म-ट्रेन के बीच फिसलने से होने वाली मौतों को अप्रिय घटनाएं बताकर अपना पल्ला झाड़ लेता है।
लोकल से यात्रा मतलब जंग
शाह ने कहा कि अपने काम या कॉलेज जाने के लिए बाहर निकलना जंग के मैदान में जाने जैसा है। उन्होंने समाचार रिपोर्ट भी पेश की, जिसमें कल्याण स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने के लिए भगदड़ जैसी स्थिति का जिक्र था। पश्चिम रेलवे के वकील सुरेश कुमार ने कहा कि 2008 से उन्होंने पहले की एक जनहित याचिका में दिए गए निर्देशों का पालन किया है, जिसमें रेलवे के लिए दिशानिर्देश शामिल हैं। इसमें प्लेटफॉर्म-ट्रेन के बीच की खाई को ठीक करना शामिल है और HC उठाए गए कदमों से संतुष्ट था।
रेलवे से किए सवाल
इसके बाद जजों ने पूछा कि क्या रेलवे ट्रेन से गिरने और उससे होने वाली मौतों को रोक पाया है? उन्होंने कहा कि वेस्टर्न रेलवे यह कहकर बच नहीं सकता कि वह रोजाना 33 लाख यात्रियों को ढोता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि आपको अपना नजरिया और सोच बदलनी होगी। इस बार हम अधिकारियों को जवाबदेह बनाने जा रहे हैं। आप मानव यात्रियों को मवेशियों या शायद उससे भी बदतर की तरह ढो रहे हैं।
कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?
आदेश में कोर्ट ने कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दे पर सभी संबंधितों, विशेष रूप से रेलवे बोर्ड के सदस्य और क्षेत्रीय सुरक्षा आयुक्तों सहित उच्च अधिकारियों का तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। कोर्ट ने वेस्टर्न रेलवे और सेंट्रल रेलवे के महाप्रबंधकों को निर्देश दिया कि वे जनहित याचिका के जवाब में एक हलफनामा दाखिल करें और दुर्घटनाओं को रोकने के उपायों की सूची दें। जवाब मिलने के बाद हाईकोर्ट मुंबई में दैनिक ट्रेन यात्री मौतों की चुनौती से निपटने के उपाय सुझाने के लिए आयुक्तों/विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करने पर विचार कर सकता है।