राजनीति

हार के बाद नहीं कम हुई वाईएसआरसीपी की मुश्किलें, पार्टी कार्यालयों को नगर निगम से गिराने का मिला नोटिस

ताड़ेपल्ली
आंध्र प्रदेश के ताड़ेपल्ली में निर्माणाधीन वाईएसआरसीपी का केंद्रीय कार्यालय को गिराए जाने के बाद अब पार्टी के कई जिला कार्यालयों को नगर निगम से नोटिस मिलने लगे हैं। जिसमें उन कार्यालयों के निर्माण की वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। राज्य की विपक्षी पार्टी ने नगर निकाय से अपने विजयनगरम जिला कार्यालय की वैधता के बारे में मिले नोटिस को साझा किया है।

नगर निगम से जारी नोटिस में कहा गया है, आपको अनधिकृत निर्माण कार्य को रोकने और आपके/आपके अधिकृत एजेंट की तरफ से लिखित रूप में इस नोटिस की प्राप्ति की तारीख से सात दिनों के अंदर इस नोटिस का जवाब देने का निर्देश दिया जाता है। वहीं कोई जवाब न मिलने पर नगर निगम ने चेतावनी देते हुए कहा कि इसे एक जानबूझकर किया गया अपराध माना जाएगा और एपीएमसी अधिनियम के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

पार्टी की कई जिला कार्यालयों को मिला नोटिस
वहीं नगर निगम की इस कार्रवाई को वाईएसआरसीपी ने बदले की भावना के तहत कार्रवाई बताया है और आरोप लगाया कि एनडीए सरकार, जिसमें टीडीपी, भाजपा और जनसेना शामिल हैं, जानबूझकर उनके पार्टी के कार्यलयों को निशाना बना रही है। राज्य की विपक्षी दल ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा विजयवाड़ा और विजयनगरम पार्टी कार्यालयों को बदले की भावना से ध्वस्त करने की साजिश रची गई है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तरफ से जारी आदेश के आधार पर बनाए गए टीडीपी कार्यालयों को छोड़कर, गठबंधन सरकार अधिकारियों को वाईएसआरसीपी को नोटिस देने के लिए मजबूर कर रही है।

मंत्री लोकेश ने पूर्व मुख्यमंत्री की थी आलोचना
रविवार को राज्य के सूचना और इलेक्ट्रानिक्स मंत्री नारा लोकेश ने पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी पर वाईएसआरसीपी पार्टी कार्यालयों के निर्माण के लिए 1000 रुपये के पट्टे पर 26 जिलों में 42 एकड़ जमीन आवंटित करने के लिए आलोचना की थी। इस बीच, एक सरकारी सूत्र ने एक डेटासेट साझा किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि इनमें से 18 कार्यालय पूरी तरह से अनधिकृत इमारतें हैं। सूत्र के अनुसार, विजयनगरम, विशाखापत्तनम, मछलीपट्टनम और कुरनूल में चार जिला कार्यालयों को ऑनलाइन स्वीकृति मिली थी, लेकिन उनमें कमी थी। फिर भी, वाईएसआरसीपी ने आगे बढ़कर उनका निर्माण किया। वहीं पार्टी के प्रकाशम जिला कार्यालय को अनुमति के साथ बनाया गया था, जबकि एएसआर, कोनसीमा और चित्तूर में तीन जिला कार्यालयों का निर्माण अभी शुरू होना बाकी है और उनकी साइटें अभी खाली हैं।

कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद?
वाईएसआरसीपी पार्टी कार्यालयों की बात करें तो इनमें से लगभग सभी जिला कार्यालयों का निर्माण काफी महंगे स्तर पर कराए गए हैं, जिनमें शानदार डिजाइन, भव्य स्तंभ, कॉलोनेड, टाइल वाली छतें, मेहराब और अन्य शामिल हैं। बता दें कि जमीन और निर्माण लागत के साथ, सत्तारूढ़ पार्टी ने उनका मूल्य लगभग 2,000 करोड़ रुपये आंका है। वहीं 500 करोड़ रुपये के रुशिकोंडा महलनुमा हवेली के हंगामे के बाद वाईएसआरसीपी के कार्यालय विवाद शुरू हुआ है। इस कड़ी में विशाखापत्तनम में समंदर के नजारे वाला भवन, जिसमें इतालवी संगमरमर, 200 झूमर, 12 शयनकक्ष, बहुरंगी रोशनी और तमाम सुविधाओं से बना है, जिसे कथित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री का निवास माना जाता था।

सत्ता परिवर्तन के बाद सुर्खियों में आया विवाद
हाल ही में राज्य सरकार में सत्ता वाईएसआरसीपी से टीडीपी के हाथों में आने के बाद विशाखापत्तनम का भवन राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया। इस पर, मंत्री नारा लोकेश ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी पर निशाना साधते हुए कहा, महलों के लिए ये क्या दीवानगी है? क्या आपके लालच का कोई अंत नहीं है।

 

 

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