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भारतीय छात्रों की पसंद नहीं कनाडा, संख्या में दिखी गिरावट

ओटावा
 कनाडा के कॉलेज लंबे समय तक भारतीय छात्रों के पसंदीदा रहे हैं लेकिन हालिया वक्त में भारत से कनाडा आने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट आ रही है। खासतौर से इस वर्ष की पहली तिमाही में कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का एक नया परिदृश्य देखने को मिल रहा है, जिसमें घाना जैसे अफ्रीकी देशों से आने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि तथा भारत से आने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट शामिल है। इमिग्रेशन रिफ्यूजीज एंड सिटिजनशिप कनाडा (आईआरसीसी) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में ये जानकारी दी है। 2024 की शुरुआत में आईआरसीसी ने जनवरी और फरवरी में भारतीय छात्रों के 45,000 स्टडी परमिट आवेदनों को प्रोसेस किया। इसके अगले ही महीने मार्च में यह संख्या घटकर सिर्फ 4,210 रह गई। छात्रों की संख्या में इस गिरावट के कई कारण हैं।

 रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या मे गिरावट के बड़े कारणों में से एक भारतीय छात्रों को स्टूडेंट लोन मिलने में हो रही दिक्कत अहम है। वहीं भारत और कनाडा के बीच तनाव और नकारात्मक मीडिया रिपोर्ट्स के कारण भी छात्रों में एक झिझक हो रही है। इसके अलावा ज्यादातर भारतीय छात्र कनाडा में डिप्लोमा और स्नातक डिग्री जैसे कैप के अधीन आने वाले कोर्स को प्राथमिकता देते हैं। 2023 में भारतीय छात्रों के 90 प्रतिशत से ज़्यादा परमिट इन कैप्ड कार्यक्रमों के लिए थे। जनवरी में इन कैप्स और आवेदन फ्री होने की रिपोर्ट्स ने भारतीय छात्रों को दूसरों की तुलना में ज़्यादा प्रभावित किया है।
कनाडा के कॉलेजों में भारतीय छात्र सबसे ज्यादा

भारतीय छात्र परंपरागत रूप से कनाडा की अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। मार्च 2024 इस साल का पहला महीना था जब कनाडा में प्रोसेस किए गए नए स्टडी परमिटों की कुल संख्या पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में कम हुई। 2024 में स्टडी परमिट के लिए प्रोसेस में लग रहे समय ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। जनवरी से मई तक आवश्यक समय लगभग दोगुना हो गया है। खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर राजनयिक विवाद के कारण भी कम भारतीय छात्रों ने आवेदन किया । वहीं कनाडा में बढ़ता पढ़ाई का कर्ज भी एक वजह बन रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट आई है, जबकि अन्य छात्र आबादी ने परमिट अनुमोदन में वृद्धि देखी है। पहली तिमाही में बांग्लादेश, घाना, गिनी और सेनेगल के छात्रों को साल-दर-साल अधिक अनुमोदन मात्रा मिली। विशेष रूप से घाना के छात्रों को स्वीकृत परमिट की दूसरी सबसे बड़ी संख्या मिली, जो पारंपरिक रूप से बड़े नाइजीरियाई और चीनी छात्र समूहों से आगे निकल गई। यह उभरता परिदृश्य कनाडा के अंतर्राष्ट्रीय छात्र जनसांख्यिकी में संभावित बदलाव का संकेत देता है, जिसमें भारत जैसे स्थापित स्रोतों से घटती संख्या के बीच उभरते बाजारों में बढ़त हो रही है।

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