एक ऐसी जगह जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता, एक ऐसी जगह जिसकी सुरक्षा को भेदना नामुमकिन कहा जाता था, सदन के बीचोंबीच पहुंच गए और स्मोक क्रैकर तक फोड़ डाले. बुधवार को सुरक्षा घेरा तोड़कर लोकसभा चैंबर में 2 संदिग्धों के घुसने की घटना पर संसद भवन सुरक्षा स्टाफ के आठ 8 सुरक्षाकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है
लोकसभा में सुरक्षा चूंक पर लोकसभा सचिवालय ने बड़ा एक्शन लिया है। लोकसभा सचिवालय ने 8 कर्मचारियों को संसद की सुरक्षा में चूक के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है, वे लोकसभा सचिवालय के सिक्योरिटी स्टाफ हैं. निलंबित किए गए लोगों की पहचान रामपाल, अरविंद, वीर दास, गणेश, अनिल, प्रदीप, विमित और नरेंद्र के रूप में की गई है.वहीं, संसद में सुरक्षा में हुई चूक पर गृह मंत्रालय ने लोकसभा सचिवालय के अनुरोध पर उच्च स्तरीय जांच का आदेश आदेश दिया है। सीआरपीएफ के महानिदेशक अनीश दयाल सिंह की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की गई है, जिसमें अन्य सुरक्षा एजेंसियों और विशेषज्ञों के सदस्य शामिल हैं। संसद में यह सेंध संसद पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी पर हुआ।
संसद की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले पांच आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पकड़े गए आरोपीयों ने बताया कि उन्होंने ये कामविभिन्न मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया है। आरोपियों ने बताया है कि उनका उद्देश्य बेरोजगारी, किसानों की परेशानी, और मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दों पर सरकार को ध्यान दिलाना था। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां इस मामले की गहन जांच कर रही हैं ताकि यह पता लग सके कि इन आरोपियों को किसी संगठन ने निर्देशित किया था या नहीं।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने संसद सुरक्षा चूक की घटना के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है. संसद पर 2001 को हुए आतंकी हमले की बरसी के दिन बुधवार को सुरक्षा में सेंधमारी की बड़ी घटना उस वक्त सामने आई जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग- सागर शर्मा और मनोरंजन डी सदन के भीतर कूद गए, नारेबाजी की और ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया. इस बीच कुछ सांसदों ने दोनों को पकड़ लिया.
लगभग उसी वक्त दो अन्य आरोपियों अमोल शिंदे और नीलम देवी- ने संसद परिसर के बाहर ‘केन’ से रंगीन धुआं छोड़ा और ‘‘तानाशाही नहीं चलेगी’’ के नारे लगाए अधिकारियों ने बताया कि घटना के संबंध में यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.