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केन विलियमसन ने छोड़ी न्यूजीलैंड टीम की कप्तानी… सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट भी ठुकराया

वेलिंग्टन
T20 World Cup 2024 के सुपर 8 में जगह बनाने से चूकी न्यूजीलैंड की टीम के कप्तान केन विलियमसन ने एक बड़ा फैसला किया है। कीवी कप्तान केन विलियमसन ने न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट को ठुकरा दिया है। इसके अलावा वे व्हाइट बॉल टीम की कप्तानी से भी हट गए हैं। टेस्ट कप्तानी वे पहले ही छोड़ चुके हैं। सालाना अनुबंध को ठुकराने और कप्तानी छोड़ने से ये क्या ये पता चलता है कि वे रिटायरमेंट लेने वाले हैं? इसका जवाब नहीं के रूप में है, क्योंकि केन विलियमसन अभी भी न्यूजीलैंड के लिए तीनों फॉर्मेट खेलने के लिए तैयार हैं।

केन विलियमसन ने तीनों प्रारूपों में न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के प्रति अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर फिर से जोर दिया है। यहां तक कि उन्होंने 2024-25 वर्ष के लिए केंद्रीय अनुबंध को अस्वीकार किया है और 350 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैचों के अनुभवी खिलाड़ी ने केंद्रीय अनुबंध से अपना नाम वापस लिया है और वे व्हाइट बॉल टीमों की कप्तानी भी छोड़ देंगे। इस कदम से उनको ये फायदा होगा कि वे अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को आगे बढ़ा सकेंगे। जनवरी 2024 को छोड़ दें तो वे न्यूजीलैंड के लिए हर समय उपलब्ध रहे हैं। टी20 वर्ल्ड कप में भी वे खेले।  

आपको बता दें, न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि वे ब्लैककैप्स के लिए अगले 8 टेस्ट मैचों में खेलते नजर आएंगे, जो आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के तहत खेले जाने हैं। अगले साल फरवरी-मार्च में पाकिस्तान में होने वाली आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भी वे न्यूजीलैंड के लिए बतौर बल्लेबाज खेलने उतरेंगे। न्यूजीलैंड क्रिकेट यानी एनजेडसी केंद्रीय अनुबंध की पेशकश वाले खिलाड़ियों को ब्लैककैप्स और घरेलू सुपर स्मैश प्रतियोगिता दोनों के लिए उपलब्ध रहने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा। हालांकि, विलियमसन ऐसा नहीं चाहते हैं।

विलियमसन ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उनके निर्णय को इस रूप में नहीं समझा जाना चाहिए कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रुचि खो रहे हैं; इसके विपरीत, वह भविष्य में केन्द्रीय अनुबंध की पेशकश स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि न्यूजीलैंड का प्रतिनिधित्व करना अभी भी उनकी प्राथमिकता है। न्यूजीलैंड में सालाना अनुबंध से खिलाड़ियों का दूर रहना कोई नई बात नहीं है। ट्रेंट बोल्ट ऐसा कर चुके हैं और वे फिर भी टीम के लिए खेलते हुए नजर आए हैं। हालांकि, इससे होता ये है कि खिलाड़ी विदेशी लीग्स में ज्यादा हिस्सेदारी रखने लगते हैं।

 

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