छत्तीसगढ़

1 जनवरी से रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू, सुरक्षा व्यवस्था में होगा बड़ा बदलाव

रायपुर 

रायपुर में 1 जनवरी से पुलिसिंग का चेहरा पूरी तरह बदलने वाला है। छत्तीसगढ़ की राजधानी में नए साल की शुरुआत के साथ ही पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी जाएगी। प्रशासनिक स्तर पर इसकी सभी जरूरी तैयारियां अंतिम चरण में हैं। इस नई व्यवस्था के प्रभावी होते ही छत्तीसगढ़ देश का 18वां ऐसा राज्य बन जाएगा जहां पुलिस कमिश्नर सिस्टम काम करेगा। जानकारों का कहना है कि इस बदलाव के लिए मध्य प्रदेश के मॉडल का अध्ययन किया गया है लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार रायपुर की परिस्थितियों को देखते हुए पुलिस को कुछ अतिरिक्त अधिकार देने की तैयारी में है।

कानून-व्यवस्था और कर्फ्यू जैसे फैसलों पर होगा सीधा नियंत्रण

पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद राजधानी की सुरक्षा और शांति व्यवस्था की जिम्मेदारी पूरी तरह कमिश्नर के कंधों पर होगी। अब तक शहर में तनाव या आपात स्थिति के दौरान कर्फ्यू लगाने जैसे बड़े फैसलों के लिए जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति लेनी पड़ती थी। नई व्यवस्था में पुलिस कमिश्नर खुद हालात का जायजा लेकर धारा 144 लागू करने या कर्फ्यू जैसे कड़े कदम उठाने का निर्णय ले सकेंगे। इससे किसी भी गंभीर स्थिति में कागजी कार्रवाई में होने वाली देरी कम होगी और पुलिस तुरंत कार्रवाई कर पाएगी।

फुलप्रूफ व्यवस्था बनाने में जुटे अफसर

अब एक बार फिर से रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है. इसके साथ ही गृह विभाग लगातार समीक्षा में जुटा है, ताकि नए सिस्टम में किसी तरह की कमी न रह जाए.  विभागीय सूत्र के अनुसार, मौजूदा SP–CSP पैटर्न पर जिले का स्टाफ पहले से ही भारी दबाव में है. इसलिए नई व्यवस्था में बड़े रैंक के अधिकारियों की तैनाती बेहद आवश्यक मानी जा रही है. अक्टूबर में सौंपी गई रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया था कि रायपुर में कमिश्नरेट सिस्टम प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए 500 से अधिक नए स्टाफ की नियुक्ति अनिवार्य होगी. इसके साथ ही कई विभागीय संरचनाओं में बदलाव, नई शाखाओं का गठन और ट्रैफिक व्यवस्था को पुनर्गठित करना भी जरूरी बताया गया है.

अब जुलूस और धरना-प्रदर्शन की अनुमति भी मिलेगी पुलिस से

प्रशासन ने तय किया है कि शहर में होने वाले राजनीतिक कार्यक्रमों, रैलियों और धरना-प्रदर्शनों की अनुमति देने का अधिकार अब कलेक्टर के बजाय पुलिस कमिश्नर के पास होगा। अक्सर देखा जाता है कि प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा इंतजामों को लेकर पुलिस और प्रशासन के बीच तालमेल में समय लग जाता है। अब कमिश्नर ही यह तय करेंगे कि किस मार्ग पर जुलूस निकलेगा और कहां प्रदर्शन की अनुमति दी जाएगी। इससे शहर के यातायात प्रबंधन और आम जनता की सहूलियत को ध्यान में रखकर फैसले लेना आसान होगा।

अपराधियों को जिला बदर करने और लाइसेंस जारी करने की नई शक्ति

अपराध नियंत्रण को लेकर पुलिस कमिश्नर को मजिस्ट्रेट स्तर की शक्तियां प्राप्त होंगी। अब पुलिस के पास आदतन अपराधियों को जिला बदर करने और असामाजिक तत्वों पर नकेल कसने के लिए सीधे अधिकार होंगे। इसके अलावा शस्त्र अधिनियम के तहत हथियारों के लाइसेंस जारी करने या किसी उल्लंघन की स्थिति में उन्हें रद्द करने का काम भी पुलिस मुख्यालय से संचालित होगा। इन कड़े अधिकारों के जरिए राजधानी में बढ़ते संगठित अपराध और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने की योजना तैयार की गई है।

दंगों पर नियंत्रण और बल प्रयोग के लिए मिलेगी पूरी छूट

आपातकाल या दंगों जैसी संवेदनशील परिस्थितियों में बल प्रयोग से जुड़े फैसलों को लेकर पुलिस अब अधिक स्वतंत्र होगी। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज या अन्य सुरक्षात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस को मौके पर ही फैसला लेने की छूट मिलेगी। प्रशासन का तर्क है कि रायपुर में बढ़ती आबादी और तेजी से होते शहरीकरण के कारण अपराधों का ग्राफ भी बदला है। पुलिस कमिश्नर सिस्टम आने से निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी आएगी और अपराधियों के मन में पुलिस का खौफ बढ़ेगा जिससे राजधानी अधिक सुरक्षित महसूस करेगी।

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