राजनीति

मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने NEET-UG परीक्षा में कथित धांधली की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की

नई दिल्ली
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक’ (NEET-UG) 2024 में कथित धांधली की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की है। गुरुवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने फिर से अपनी मांग दोहराई है और कहा है कि 24 जून से आरंभ हो रहे संसद के सत्र के दौरान इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जाएगा। गोगोई ने कहा कि कांग्रेस इस मामले में सीबीआई जांच चाहती है, लेकिन अगर सरकार इसके लिए तैयार नहीं है तो फिर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए।

इससे पहले केंद्र सरकार ने गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नीट (स्नातक) के 1,563 अभ्यर्थियों को ग्रेस मार्क्स देने के फैसले को निरस्त कर दिया गया है और उन छात्रों को 23 जून को पुन: परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा। केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) के वकीलों ने जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ को बताया कि जिन विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, उन्हें पुन: परीक्षा का विकल्प दिया जाएगा। उधर, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नीट में प्रश्नपत्र लीक होने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इसका कोई प्रमाण नहीं है।

कांग्रेस सांसद गोगोई ने संवाददाताओं से कहा, "यह रहस्य की बात है कि नीट के नतीजे 4 जून को क्यों घोषित किए गए, जब पूरा देश चुनाव नतीजों पर ध्यान केंद्रित कर रहा था।  इससे यही संकेत मिलता है कि उन्हें पता था कि कोई तूफान आने वाला है। इसलिए वे 4 जून को नीट के नतीजे घोषित करके इस पर किसी भी तरह की चर्चा से बचना चाहते थे। " गोगोई ने कहा, "इसीलिए हम इस पूरे घोटाले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच चाहते हैं क्योंकि यह 24 लाख युवाओं की जिंदगी का मसला है और उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।"

उन्होंने कहा, ‘‘नीट परीक्षा में हुई धांधली के आरोपों पर सरकार का जो रवैया रहा है, उस पर उन्हें आत्ममंथन करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में सरकार ने जताया है कि 1563 छात्रों का स्कोरकार्ड रद्द किया जाएगा और उन्हें 23 जून को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा। वे बच्चे जो दोबारा परीक्षा नहीं देना चाहते, उनके गे्रस मार्क्स  हटाने के बाद जो अंक रहेंगे, वही फाइनल अंक माने जाएंगे। जो छात्र 23 जून को दोबारा परीक्षा देंगे, उनका 30 जून को परिणाम आएगा और फिर 6 जुलाई से काउंसलिंग शुरू होगी।’’

गोगोई ने आरोप लगाया कि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस मामले पर चर्चा से भाग रहे हैं।  उन्होंने कहा, ‘‘जिस एनटीए के नेतृत्व में यह पूरा घोटाला हुआ, आप उसी एजेंसी से मामले में जांच करने की बात कह रहे हैं। ऐसे में निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘परीक्षा केंद्र और कोचिंग सेंटर का एक गठजोड़ बन चुका है, जिसने आज हमारे मध्यम-गरीब वर्ग को हिला कर रख दिया है। 'पैसे दो-पेपर लो' जैसी सांठगांठ की जांच एनटीए कैसे कर पायेगा ? इसमें एनटीए का कोई न कोई अधिकारी शामिल है। ऐसे में एनटीए निष्पक्ष जांच कैसे करेगा ?’’

कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘कांग्रेस इस मामले में सीबीआई जांच चाहती है। यदि सरकार सीबीआई जांच के लिए तैयार नहीं है तो हम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग करते हैं।’’ गोगोई ने दावा किया, ‘‘हमने अलग-अलग रिकॉर्डिंग सुनी है कि कैसे लाखों रुपये मांगे जा रहे हैं। एक ही सेंटर में बच्चों को एक जैसे नंबर मिल रहे हैं। इस मामले पर सरकार का रवैया कमजोर रहा है और वह इस मुद्दे से भाग रही है। लेकिन देश के मुद्दों को उठाना विपक्ष का कर्तव्य है और हम सदन के अंदर अपने 24 लाख छात्रों की आवाज जोर-शोर से उठाएंगे।’’

दूसरी तरफ, घोटाले के आरोपों को खारिज करते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "कोई पेपर लीक नहीं हुआ है, अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है। लगभग 1,560 छात्रों के लिए कोर्ट द्वारा सुझाए गए मॉडल को अपनाया गया था और इसके लिए शिक्षाविदों का एक पैनल बनाया गया है।"

बता दें कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने 5 मई को 4,750 केंद्रों पर नीट परीक्षा आयोजित की थी, जिसमें लगभग 24 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे। मूल रूप से, परिणाम 14 जून को घोषित किए जाने थे, लेकिन निर्धारित समय से पहले ही 4 जून को नतीजे घोषित कर दिए गए, जिससे एनटीए पर और अधिक संदेह हो रहा है।  हालांकि, एनटीए ने स्पष्ट किया है कि उत्तर पुस्तिकाओं के तेजी से मूल्यांकन के कारण ऐसा किया गया। कुल 67 छात्रों ने 720 में 720 मार्क्स लाए हैं। एनटीए के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। हरियाणा के फरीदाबाद के एक केंद्र के छह छात्र उनमें शामिल थे, जिससे संभावित अनियमितताओं को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। 

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