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PM मोदी की नई टीम में बिहार से कौन-कौन बनेंगे मंत्री? ये नाम तो चौंकाने वाले हैं

नईदिल्ली
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने न केवल सरकार बनाने का रास्ता साफ किया है, बल्कि एक मजबूत विपक्ष भी दिया। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने जा रही है। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 240 सीटें मिली हैं, जो बहुमत के 272 के आंकड़े से 32 कम है। कुल मिलाकर एनडीए को 293 सीटें मिली हैं। इस स्थिति में एनडीए के प्रमुख सहयोगी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के पास सत्ता की चाबी है।
8 जून को हो सकता है शपथ ग्रहण

बता दें कि नरेंद्र मोदी ने बुधवार दोपहर को राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया और बाद में शाम को एनडीए के नेता चुने गए। लोकसभा भंग हो चुकी है और शपथ ग्रहण समारोह 8 जून को होने की उम्मीद है। वहीं नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल में किसको-किसको जगह मिलेगी, इसको लेकर अटकलें तेज हैं। जानकारी के अनुसार, चुनाव जीतने वाले सभी मंत्रियों को एक बार फिर से कैबिनेट में जगह दिया जा सकता है।

बिहार से कौन-कौन बन सकता है मंत्री

बिहार से कौन-कौन नरेंद्र मोदी की सरकार 3.O में किसे मंत्री पद मिल सकता है, इसको लेकर चर्चा तेज है। संभव है कि इस बार नए-नए चेहरे नजर आ सकते हैं। बताया जा रहा है कि बीजेपी एक बार फिर पुराने चेहरे को रिपिट कर सकती है। वहीं जेडीयू की ओर तीन से चार सांसद मंत्री बन सकते हैं। चिराग पासवान और मांझी की पार्टी भी मोदी कैबिनेट में शामिल होगी।

ये बन सकते हैं मंत्री

    ललन सिंह (JDU)
    रामनाथ ठाकुर (JDU)
    कौशलेंद्र कुमार (JDU)
    संजय झा (JDU)
    जीतनराम मांझी ( HAM)
    चिराग पासवान (LJPR)
    गिरिराज सिंह (BJP)
    नित्यानंद राय (BJP)
    गोपालजी ठाकुर ( BJP)

8 जून ऐतिहासिक दिन

भारतीय राजनीति के लिए 8 जून एतिहासिक दिन होने वाला है। जवाहरलाल नेहरू के बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीन बार प्रधानमंत्री पद संभालने वाले पहले नेता बनेंगे। बताया जा रहा है कि बिहार से कई मंत्री रिपिट होंगे। तो कुछ को नए मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। संभव है कि हार का सामना करने वाले मंत्रियों को जगह नहीं मिलेगी। आरके सिंह आरा लोकसभा सीट से चुनाव हार चुके हैं। वहीं अश्विनी कुमार चौबे को बीजेपी ने टिकट ही नहीं दिया था।

केंद्रीय कैबिनेट में कितने बन सकते हैं मंत्री

संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार मंत्रिपरिषद में लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 15 प्रतिशत तक सदस्य शामिल हो सकते हैं। यानी प्रधानमंत्री के अलावा 78 मंत्री टीम का हिस्सा हो सकते हैं। ऐसे में ये देखने वाली बात होगी बिहार से मोदी कैबिनेट में कौन-कौन शामिल होता है।

नीतीश कुमार एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू के नेता हैं. उन्होंने बिहार में 12 सीटों पर जीत हासिल की है. इस लिहाज पर उनका होना एनडीए के लिए बहुत अहम है. वहीं JDU सूत्रों के हवाले से खबर है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने तीन मंत्रालय की मांग रखी है. उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के साथ ही चार सांसद पर एक मंत्रालय का फॉर्मूला सरकार के सामने रखा है. दरअसल 12 सांसद जेडीयू के है, इसलिए वह 3 मंत्रालय चाहती है. सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक नीतीश कुमार रेल , कृषि और वित्त मंत्रालय चाहते हैं. वहीं रेल मंत्रालय प्राथमिकता में है.

बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार ने 16 और बीजेपी ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था. नीतीश की जेडीयू और बीजेपी ने एक बराबर 12-12 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 240 सीटें जीती हैं, इस लिहाज से वह बहुमत से दूर है. ऐसे में एनडीए के लिए 12 सीटें जीतने वाले नीतीश कुमार और 16 सीटें जीतने वाले चंद्रबाबू नायडू काफी अहम हैं. सरकार बनाने के लिए दोनों ही नेताओं की एनडीए को जरूरत होगी. दोनों पर ही नई सरकार को काफी ध्यान देना होगा. दोनों ही सहयोगियों को नाराज करना सही नहीं होगा. ऐसे में सूत्रों के हवाले से नीतीश कुमार की मांग सामने आई है. वह मोदी 3.0 सरकार में तीन मंत्रालय चाहते हैं.

5 साल के लगातार 2 टर्म पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी पीएम
नेहरू और मनमोहन सिंह के अलावा मोदी एक मात्र प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लगातार पांच साल के दो टर्म पूरे किये हैं. 1967 में प्रधानमंत्री बनने वाली इंदिरा गांधी ने प्रीवी पर्स मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट में मुंह की खाने और फिर संसद में शिकस्त का सामना करने के बाद, पांच साल का टर्म पूरा होने के पहले ही मध्यावधि चुनाव का रास्ता अख्तियार किया था, 1971 की शुरुआत में.

कांग्रेस में नेहरू के अलावा सिर्फ मनमोहन सिंह के नाम ही पांच साल के दो टर्म प्रधानमंत्री के तौर पर पूरा करने का कीर्तिमान रहा है और गैर- कांग्रेसी नेताओं में सिर्फ मोदी के नाम ये रिकॉर्ड है. मनमोहन सिंह और मोदी में फर्क ये है कि मोदी जहां खुद लोकसभा चुनाव जीतकर और अपनी पार्टी को जीताकर पीएम बने, तो मनमोहन सिंह सोनिया गांधी की कृपा से.

प्रधानमंत्री के तौर पर दो टर्म पूरा करने वाले मनमोहन सिंह कभी लोकसभा में सदन के नेता नहीं रहे, क्योंकि उन्होंने उस दौरान लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा. वो सीधे जनता के बीच से चुनकर लोकसभा में आने का हौसला नहीं जुटा सके, संसद में वो राज्यसभा के रास्ते आए. अगर लोकसभा में सदन के नेता होने के साथ ही लगातार दो पूरे टर्म करने की बात हो, तो नेहरू के बाद सिर्फ मोदी का नंबर आता है.

मोदी की प्रशासनिक क्षमता का लोहा दुनिया ने माना
लेकिन मोदी नेहरू से भी एक मामले में विशिष्ट हैं. प्रधानमंत्री बनने से पहले नेहरू सिर्फ इलाहाबाद की नगरपालिका के अध्यक्ष रहे थे, एक मात्र उनका प्रशासनिक अनुभव वही रहा था. लेकिन उनके उलट मोदी पौने तेरह साल तक लगातार गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के बाद 26 मई 2014 को देश के प्रधानमंत्री बने थे. गुजरात के सीएम के तौर पर रिकॉर्ड कार्यकाल के दौरान मोदी की प्रशासनिक क्षमता का लोहा देश और दुनिया ने माना, उनकी साख बनी, जिसकी वजह से ही वो बड़े मैंडेट के साथ 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने.

देश के राजनीतिक इतिहास में वो एक मात्र व्यक्ति हैं, जो पौने तेरह साल तक सीएम रहने के बाद बिना किसी ब्रेक के सीधे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे और दस साल तक लगातार प्रधानमंत्री रहने के बाद तीसरे टर्म की शुरुआत करने जा रहे हैं. कुल मिलाकर पिछले पौने तेईस साल से लगातार सीएम और पीएम जैसे राज्य और देश के शीर्ष प्रशासनिक पदों पर बैठे हुए हैं मोदी.

जहां तक चुनावी राजनीति और जीत का सवाल है, मोदी उसमें भी एक ऐसा रिकॉर्ड बना चुके हैं, जैसा पहले न तो कोई कर पाया और न ही भविष्य में ऐसा जल्दी होने की संभावना है. बतौर सीएम गुजरात में लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीताने वाले मोदी लोकसभा चुनाव के मामले में भी हैट्रिक लगा चुके हैं, एनडीए को तीन दफा सफलता दिलाई है लगातार.

जहां तक बीजेपी का सवाल है, उस मामले में भी मोदी ने अनूठा रिकॉर्ड बनाया है. मोदी की अगुवाई में ही बीजेपी ने अपने चौवालीस साल पुराने इतिहास में अपनी तीन बड़ी जीत हासिल की है लोकसभा के चुनावों में.

1980 में बीजेपी की स्थापना हुई थी, पार्टी ने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा 1984 में, जिसमें उसे महज दो सीटें हासिल हुई थीं. यही वो चुनाव था, जिसमें कांग्रेस को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से सहानुभूति लहर मिली थी और कांग्रेस पार्टी देश के संसदीय इतिहास में पहली और आखिरी बार चार सौ से अधिक सीटें जीतने में कामयाब रही थी.

कांग्रेस को 404 सीटें 1984 के इन लोकसभा चुनावों में हासिल हुई थी. बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सहानुभूति लहर की वजह से कांग्रेस को हासिल हुई इस ऐतिहासिक जीत के कारण ही इन चुनावों को ‘शोकसभा का चुनाव’ कहा था.

1984 में महज दो सीटें जीतने वाली बीजेपी को अपने इतिहास में एक ही बार तीन सौ से ज्यादा सीटें जीतने का मौका मिला. पार्टी को ये मौका मोदी की अगुवाई में ही हासिल हुआ, 2019 के लोकसभा चुनावों में. बीजेपी को 303 सीटें हासिल हुईं. इससे पहले लोकसभा के लिहाज से बीजेपी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2014 में रहा था, जब मोदी की अगुआई में ही बीजेपी ने लोकसभा की 543 में से 282 सीटों पर कब्जा किया था, और पहली बार अपने बूते पर केंद्र में सरकार बनाई थी.

इससे पहले तीन बार अटलबिहारी वाजपेयी की अगुवाई में बीजेपी की जो सरकार 1996, 1998 और 1999 में बनी थी, उसमें पार्टी को एनडीए के बाकी घटक दलों के भरोसे रहना पड़ा था. 1996 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 161 सीटें हासिल हुई थीं, तो 1998 और 1999 में 182 सीटें, दोनों ही बार.

बहुमत के आंकड़े से काफी अधिक हैं एनडीए की सीटें
जहां तक 2024 के इन लोकसभा चुनावों की जीत का सवाल है, बीजेपी को 240 सीटें हासिल हुई हैं और एनडीए को 292 सीटें, जो सदन में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े 272 से काफी अधिक है. 2024 की ये जीत बीजेपी के इतिहास के लिहाज से तीसरी बड़ी जीत है और ये कीर्तिमान भी मोदी के सर ही है.

मोदी के पीएम रहते बीजेपी का विस्तार, केरल में भी खुला खाता
मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए ही बीजेपी का विस्तार पूरे देश में हुआ. पिछले दस सालों में पार्टी ने जितने अधिक राज्यों में सरकारें बनाईं और जितनी सीटें जीतीं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. यहां तक कि पहली बार केरल में पार्टी का खाता भी खुला है मोदी की अगुआई में ही, जब त्रिशूर की सीट बीजेपी के हाथ आई है.

मोदी का तीसरा टर्म शुरु होने जा रहा है. दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था भारत को अपने पहले दो टर्म के दौरान बना चुके मोदी की निगाह इसे दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने पर है. एनडीए के बाकी घटक दलों के समर्थन से सरकार चलाने जा रहे मोदी ने अपनी प्राथमिकता पहले ही तय कर दी है, न तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कोई सुस्ती आएगी और न ही बड़े आर्थिक सुधारों में.

विकसित भारत के मोदी के संकल्प और विजन की तारीफ एनडीए की आज की बैठक के दौरान सहयोगी दल कर चुके हैं, साथ में गरीबी उन्मूलन की दिशा में किये गये उनके प्रयासों का बखान भी.

मोदी की दृष्टि बड़े कीर्तिमान रचने पर
साठ साल बाद ऐसा होने जा रहा है, जब लगातार तीसरी बार कोई नेता चुनाव जीतकर सरकार बनाने जा रहा है. नेहरू के बाद ये मौका हासिल करने वाले एकमात्र व्यक्ति रहे हैं मोदी. इस अनूठे रिकॉर्ड के साथ सरकार बनाने जा रहे मोदी की दृष्टि कुछ और बड़े कीर्तिमानों पर भी होगी, सियासी, कूटनीतिक, प्रशासनिक, चुनावी, सभी मोर्चों पर नया इतिहास रचने की, नये रिकॉर्ड बनाने की.

वैसे इस मोदी काल में कांग्रेस भी एक नया रिकॉर्ड अनचाहे ही बना चुकी है, मोदी के कारण ही केंद्र की सत्ता से सबसे अधिक समय तक दूर रहने का. मोदीराज से पहले वो अधिकतम आठ साल तक सत्ता से बाहर रही थी, वर्ष 1996 से 2004 के बीच. लेकिन मोदी राज में उसका इंतजार दस साल लंबा हो चुका है और कितना लंबा होगा, ये उसके नेताओं को पता नहीं.

मोदी का जलवा जब तक है, कांग्रेस ही नहीं, बाकी विपक्षी दलों को भी सत्ता में वापसी के लिए इंतजार का नया रिकॉर्ड ही बनाना है. वैसे भी पैंतीस साल हो गये हैं नेहरू- गांधी परिवार से किसी को प्रधानमंत्री बने हुए, मोदी इस अवधि को और लंबा ही करने वाले हैं अपने नये रिकॉर्ड के साथ. बस निगाह रखिए उनके नये रिकॉर्ड पर.

 

5 साल के लगातार 2 टर्म पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी पीएम
नेहरू और मनमोहन सिंह के अलावा मोदी एक मात्र प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लगातार पांच साल के दो टर्म पूरे किये हैं. 1967 में प्रधानमंत्री बनने वाली इंदिरा गांधी ने प्रीवी पर्स मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट में मुंह की खाने और फिर संसद में शिकस्त का सामना करने के बाद, पांच साल का टर्म पूरा होने के पहले ही मध्यावधि चुनाव का रास्ता अख्तियार किया था, 1971 की शुरुआत में.

कांग्रेस में नेहरू के अलावा सिर्फ मनमोहन सिंह के नाम ही पांच साल के दो टर्म प्रधानमंत्री के तौर पर पूरा करने का कीर्तिमान रहा है और गैर- कांग्रेसी नेताओं में सिर्फ मोदी के नाम ये रिकॉर्ड है. मनमोहन सिंह और मोदी में फर्क ये है कि मोदी जहां खुद लोकसभा चुनाव जीतकर और अपनी पार्टी को जीताकर पीएम बने, तो मनमोहन सिंह सोनिया गांधी की कृपा से.

प्रधानमंत्री के तौर पर दो टर्म पूरा करने वाले मनमोहन सिंह कभी लोकसभा में सदन के नेता नहीं रहे, क्योंकि उन्होंने उस दौरान लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा. वो सीधे जनता के बीच से चुनकर लोकसभा में आने का हौसला नहीं जुटा सके, संसद में वो राज्यसभा के रास्ते आए. अगर लोकसभा में सदन के नेता होने के साथ ही लगातार दो पूरे टर्म करने की बात हो, तो नेहरू के बाद सिर्फ मोदी का नंबर आता है.

मोदी की प्रशासनिक क्षमता का लोहा दुनिया ने माना
लेकिन मोदी नेहरू से भी एक मामले में विशिष्ट हैं. प्रधानमंत्री बनने से पहले नेहरू सिर्फ इलाहाबाद की नगरपालिका के अध्यक्ष रहे थे, एक मात्र उनका प्रशासनिक अनुभव वही रहा था. लेकिन उनके उलट मोदी पौने तेरह साल तक लगातार गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के बाद 26 मई 2014 को देश के प्रधानमंत्री बने थे. गुजरात के सीएम के तौर पर रिकॉर्ड कार्यकाल के दौरान मोदी की प्रशासनिक क्षमता का लोहा देश और दुनिया ने माना, उनकी साख बनी, जिसकी वजह से ही वो बड़े मैंडेट के साथ 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने.

देश के राजनीतिक इतिहास में वो एक मात्र व्यक्ति हैं, जो पौने तेरह साल तक सीएम रहने के बाद बिना किसी ब्रेक के सीधे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे और दस साल तक लगातार प्रधानमंत्री रहने के बाद तीसरे टर्म की शुरुआत करने जा रहे हैं. कुल मिलाकर पिछले पौने तेईस साल से लगातार सीएम और पीएम जैसे राज्य और देश के शीर्ष प्रशासनिक पदों पर बैठे हुए हैं मोदी.

जहां तक चुनावी राजनीति और जीत का सवाल है, मोदी उसमें भी एक ऐसा रिकॉर्ड बना चुके हैं, जैसा पहले न तो कोई कर पाया और न ही भविष्य में ऐसा जल्दी होने की संभावना है. बतौर सीएम गुजरात में लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीताने वाले मोदी लोकसभा चुनाव के मामले में भी हैट्रिक लगा चुके हैं, एनडीए को तीन दफा सफलता दिलाई है लगातार.

जहां तक बीजेपी का सवाल है, उस मामले में भी मोदी ने अनूठा रिकॉर्ड बनाया है. मोदी की अगुवाई में ही बीजेपी ने अपने चौवालीस साल पुराने इतिहास में अपनी तीन बड़ी जीत हासिल की है लोकसभा के चुनावों में.

1980 में बीजेपी की स्थापना हुई थी, पार्टी ने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा 1984 में, जिसमें उसे महज दो सीटें हासिल हुई थीं. यही वो चुनाव था, जिसमें कांग्रेस को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से सहानुभूति लहर मिली थी और कांग्रेस पार्टी देश के संसदीय इतिहास में पहली और आखिरी बार चार सौ से अधिक सीटें जीतने में कामयाब रही थी.

कांग्रेस को 404 सीटें 1984 के इन लोकसभा चुनावों में हासिल हुई थी. बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सहानुभूति लहर की वजह से कांग्रेस को हासिल हुई इस ऐतिहासिक जीत के कारण ही इन चुनावों को ‘शोकसभा का चुनाव’ कहा था.

1984 में महज दो सीटें जीतने वाली बीजेपी को अपने इतिहास में एक ही बार तीन सौ से ज्यादा सीटें जीतने का मौका मिला. पार्टी को ये मौका मोदी की अगुवाई में ही हासिल हुआ, 2019 के लोकसभा चुनावों में. बीजेपी को 303 सीटें हासिल हुईं. इससे पहले लोकसभा के लिहाज से बीजेपी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2014 में रहा था, जब मोदी की अगुआई में ही बीजेपी ने लोकसभा की 543 में से 282 सीटों पर कब्जा किया था, और पहली बार अपने बूते पर केंद्र में सरकार बनाई थी.

इससे पहले तीन बार अटलबिहारी वाजपेयी की अगुवाई में बीजेपी की जो सरकार 1996, 1998 और 1999 में बनी थी, उसमें पार्टी को एनडीए के बाकी घटक दलों के भरोसे रहना पड़ा था. 1996 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 161 सीटें हासिल हुई थीं, तो 1998 और 1999 में 182 सीटें, दोनों ही बार.

बहुमत के आंकड़े से काफी अधिक हैं एनडीए की सीटें
जहां तक 2024 के इन लोकसभा चुनावों की जीत का सवाल है, बीजेपी को 240 सीटें हासिल हुई हैं और एनडीए को 292 सीटें, जो सदन में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े 272 से काफी अधिक है. 2024 की ये जीत बीजेपी के इतिहास के लिहाज से तीसरी बड़ी जीत है और ये कीर्तिमान भी मोदी के सर ही है.

मोदी के पीएम रहते बीजेपी का विस्तार, केरल में भी खुला खाता
मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए ही बीजेपी का विस्तार पूरे देश में हुआ. पिछले दस सालों में पार्टी ने जितने अधिक राज्यों में सरकारें बनाईं और जितनी सीटें जीतीं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. यहां तक कि पहली बार केरल में पार्टी का खाता भी खुला है मोदी की अगुआई में ही, जब त्रिशूर की सीट बीजेपी के हाथ आई है.

मोदी का तीसरा टर्म शुरु होने जा रहा है. दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था भारत को अपने पहले दो टर्म के दौरान बना चुके मोदी की निगाह इसे दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने पर है. एनडीए के बाकी घटक दलों के समर्थन से सरकार चलाने जा रहे मोदी ने अपनी प्राथमिकता पहले ही तय कर दी है, न तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कोई सुस्ती आएगी और न ही बड़े आर्थिक सुधारों में.

विकसित भारत के मोदी के संकल्प और विजन की तारीफ एनडीए की आज की बैठक के दौरान सहयोगी दल कर चुके हैं, साथ में गरीबी उन्मूलन की दिशा में किये गये उनके प्रयासों का बखान भी.

मोदी की दृष्टि बड़े कीर्तिमान रचने पर
साठ साल बाद ऐसा होने जा रहा है, जब लगातार तीसरी बार कोई नेता चुनाव जीतकर सरकार बनाने जा रहा है. नेहरू के बाद ये मौका हासिल करने वाले एकमात्र व्यक्ति रहे हैं मोदी. इस अनूठे रिकॉर्ड के साथ सरकार बनाने जा रहे मोदी की दृष्टि कुछ और बड़े कीर्तिमानों पर भी होगी, सियासी, कूटनीतिक, प्रशासनिक, चुनावी, सभी मोर्चों पर नया इतिहास रचने की, नये रिकॉर्ड बनाने की.

वैसे इस मोदी काल में कांग्रेस भी एक नया रिकॉर्ड अनचाहे ही बना चुकी है, मोदी के कारण ही केंद्र की सत्ता से सबसे अधिक समय तक दूर रहने का. मोदीराज से पहले वो अधिकतम आठ साल तक सत्ता से बाहर रही थी, वर्ष 1996 से 2004 के बीच. लेकिन मोदी राज में उसका इंतजार दस साल लंबा हो चुका है और कितना लंबा होगा, ये उसके नेताओं को पता नहीं.

मोदी का जलवा जब तक है, कांग्रेस ही नहीं, बाकी विपक्षी दलों को भी सत्ता में वापसी के लिए इंतजार का नया रिकॉर्ड ही बनाना है. वैसे भी पैंतीस साल हो गये हैं नेहरू- गांधी परिवार से किसी को प्रधानमंत्री बने हुए, मोदी इस अवधि को और लंबा ही करने वाले हैं अपने नये रिकॉर्ड के साथ. बस निगाह रखिए उनके नये रिकॉर्ड पर.

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