राजनीति

विधायक शीतल अंगुराल ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया, अब दोबारा ‘आप’ की ही ट्रेन में सवार होने चले

पंजाब
पंजाब के जालंधर वेस्ट से विधायक शीतल अंगुराल ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान को पत्र लिखकर विधायक पद से अपना इस्तीफा वापस लेने की मांग की है। बता दें कि शीतल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के बैनर तले चुनाव जीतकर विधायक बने थे। लेकिन लोकसभा चुनावों से ठीक पहले 27 मार्च को उन्होंने जालंधर के सांसद सुशील कुमार 'रिंकू' के साथ मिलकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके तुरंत बाद वे भाजपा में शामिल हो गए थे।  विधानसभा अध्यक्ष ने उनका इस्तीफा स्वीकार करने से पहले उन्हें 3 जून को बुलाया था। हालांकि, उससे पहले ही अंगुराल ने अपना इस्तीफा वापस लेने की मांग कर दी है।

उन्होंने अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में कहा है कि " अगर अब तक उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता तो पश्चिम क्षेत्र में दोबारा चुनाव करवाने पड़ते, जिससे सरकार का चुनाव खर्च भी बढ़ जाता। यही वजह है कि वे अपना इस्तीफा वापस ले रहे हैं।" अंगुराल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से ''मोदी का परिवार'' भी हटा दिया है। इसके अलावा अभी तक इस मामले पर उनकी कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले जब रिंकू के साथ मिलकर अंगुराल भाजपा में शामिल होने गए थे। उस वक्त आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनके घर के आगे जमकर हंगामा किया था। उन्हें पार्टी का गद्दार तक कह दिया गया था। उनके खिलाफ विरोध इतना था कि जिला पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ धरना देने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर मामला दर्ज किया था।

ऑपरेशन लोटस के मुख्य शिकायकर्ताओं में से एक
पंजाब की राजनीति में भूचाल लाने वाले ऑपरेशन लोटस के मुख्य शिकायकर्ता शीतल अंगुराल ही हैं। करीब डेढ़ साल पहले ऑपरेशन लोटस के मामले में आम आदमी पार्टी के दो विधायकों ने अपने बयान दर्ज करवाए थे। इनमें से एक अंगुराल भी थे। मोहाली थाने में केस दर्ज होने के बाद इस मामले की जांच विजिलेंट ब्यूरो को सौंप दी गई थी, लेकिन जांच के डेढ़ साल बाद भी कोई ऐसा तथ्य सामने नहीं आया है जिससे किसी आरोपी को पकड़ा जा सके।

कई विवादों में घिरे रहें है अंगुराल
अपने राजनीतिक जीवन के आलावा भी अंगुराल कई विवादों में घिरे हुए हैं। उनके खिलाफ जुआ, अपहरण और नाबालिग को गलत तरीके से बंधक बनाने के मामले दर्ज है। उन पर जालंधर और डेरा बस्सी के कई थानों में आबकारी अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले आयोग को सौंपे गए हफलनामे में उन्होंने कहा था कि उनके खिलाफ 9 एफआईआर दर्ज हैं।

 

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