छत्तीसगढ़

सुकमा-छत्तीसगढ़ में पारा 43 डिग्री, भीषण गर्मी में जहरीली शराब पीने से एक की गई जान

सुकमा.

भीषण गर्मी के बीच सुकमा जिले के नगर पंचायत दोरनापाल के वार्ड क्रमांक सात में सड़क के नारे एक 35 वर्षीय व्यक्ति का शव मिला है। इसकी जानकारी मिलते ही लोगों की भीड़ मौके पर लग गई। इसके बाद मामले की जानकारी पुलिस को दी गई और पुलिस मौके पर पहुंची। मृतक दोरनापाल के वार्ड क्रमांक तीन का निवासी सुरेश सुननी बताया जा रहा है। जिसकी उम्र 35 वर्ष है।

परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार, मृतक सुरेश कुछ दिनों से बीमार चल रहा था। लेकिन दवा की जगह शराब का सेवन कर रहा था और बीच दोपहरी में जब काम कर वापस लौट रहा था। उस दौरान भी सुरेश शराब के नशे में था। जिस वजह से सुरेश की अचानक तबियत बिगड़ गई। सड़क किनारे गिरकर तड़पने लगा। आसपास के लोगों ने जब उसे देखा तो उसे पानी देने की कोशिश की गई। लेकिन तब तक उसकी जान जा चुकी थी।

देशी महुआ में होता है जहरीले पदार्थ का इस्तेमाल
गौरतलब है कि बस्तर में देशी महुआ शराब आदिवासी समुदाय के लिए 5 से 10 लीटर तक शराब उपयोग करने के लिए शासन की ओर से छूट दी गई है, लेकिन इसका फायदा गैर आदिवासी उठाते नजर आ रहे हैं । इतना ही नहीं जो शुद्ध महुआ देश भर में प्रचलित है। उस महुआ में नशा बढ़ाने के लिए जहरीले पदार्थ का उपयोग किया जा रहा है। जिस वजह से गर्मियों के वक्त लोगों की मौत अब आम हो चली है। बता दें कि महुआ की शराब में तंबाकू का पानी, यूरिया, बैटरी सेल के काले पदार्थ, फिटकरी जैसे कई जहरीले पदार्थ मिलाए जाते हैं, जो सीधे तौर पर इंसान के शरीर के लिए घातक साबित होता है। इन पदार्थों को इसलिए मिलाया जाता है। ताकि इससे शराब हार्ड बने और शराब का स्वाद बढ़े और नशा धीरे-धीरे हो। ताकि लोग दो ग्लास की जगह चार ग्लास शराब पी जाएं। इस जहरीले शराब ने कई परिवारों को उजाड़ कर रख दिया। कई बच्चे अनाथ हो गए और कई महिलाएं विधवा हो गईं। लेकिन आज तक इस अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लग पाया।

कैसे होता है शुद्ध महुआ को जहरीला शराब बनाने का खेल
नाम न लिखने की शर्त पर कुछ लोगों ने बताया कि गैर आदिवासियों के द्वारा शुद्ध महुआ शराब 10 या 5 या 20 लीटर की मात्रा में खरीदा जाता है। जिसके बाद घर में लाकर इस शराब में तंबाकू टोर्च की सेल बैटरी के अंदर का काला पदार्थ, यूरीया, फिटकीरी एवं अन्य पदार्थ को पानी में उबाला जाता है । उबालने के बाद इन पदार्थों के पानी के घोल को शराब में एक सीमित मात्रा में मिलाया जाता है । जिसके बाद शराब शुद्ध से जहरीली बन जाती है लेकिन इंसान के शरीर में इसका प्रभाव धीरे-धीरे नजर आता है। महुआ शराब के वास्तविक बनावट के साथ खिलवाड़ किया जाता है।

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