विदेश

चीन के इंजीनियरों का करिश्मा, विशाल रेगिस्‍तान में रेल लाइन बनाकर दौड़ा दी ट्रेन, बदल गई शहर की तस्वीर

बीजिंग
 चीन के शिनजियांग में बनी रेलवे लाइन दुनिया को हैरत में डालती है। हॉटन से रुओकियांग तक बनी 825 किमी लंबी ये रेल लाइन रेगिस्तान में बनी है। दो साल पहले जून, 2022 में इसको शुरू किया गया था। ये रेलवे लाइन नई लाइन गोलमुड-कोरला और दक्षिणी झिंजियांग रेल लाइनों से जोड़ते हुए दुनिया की पहली रेगिस्तानी रेल लूप लाइन बनाती है। ये दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शिफ्टिंग-रेत रेगिस्तान तक्लामाकन के गिर्द घूमती है।

 तेज रफ्तार ट्रेन में बैठकर यात्रियों को खिड़की से रेत सिर्फ विशाल टीले नजर आते हैं। जो निया खंडहर, प्राचीन शहर एंडिल और दूसरे सांस्कृतिक स्थल मार्ग के किनारे खड़े हैं।

इस रेलवे लाइन पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे ट्रेनें दौड़ रही हैं। वह शिनजियांग के हॉटन शहर से रुओकियांग जिले तक का सफर तय करेगी।यह राष्ट्रीय 1 स्तरीय सिंगल-ट्रैक रेलवे है। इससे तारिम बेसिन के दक्षिणी में छ्यिएमो, मिनफेंग समेत 5 जिलों और शिनजियांग प्रोडक्शन एंड कंस्ट्रक्शन कॉर्प्स के तीन समूहों तक रेल पहुंची है। हॉटन-रुओकियांग रेल लाइन के निर्माण के दौरान कामगारों ने रेत के टीलों, रेतीले तूफान, अत्यधिक गर्मी और जमा देने वाले तापमान का सामना करते हुए 460 किलोमीटर निर्जन क्षेत्रों को पार किया, जहां पानी, बिजली और सेलफोन सिग्नल नहीं है। कामगारों के तीन साल की अथक मेहनत ने इस असाधारण इंजीनियरिंग उपलब्धि को जमीन पर उतारा है। ये रेलवे लाइन इंजीनियरिंग का शानदार नमूना तो है ही लेकिन इसका महत्व इससे कहीं अधिक है। ये रेलवे लाइन बीते दो सालों में आर्थिक तौर पर भी बहुत फायदेमंद साबित हुई है।

रेलवे लाइन ने बदला कई शहरों के लोगों का जीवन

चीन के इस क्षेत्र में दूर तक रेगिस्तान होने की वजह से कई स्थान रेलवे नेटवर्क से जुड़े हुए नहीं थे। स्थानीय लोगों को अगर शिनजियांग से बाहर जाना होता था तो उन्हें तियानशान पर्वत पार करना पड़ता था। कपास और खजूर जैसी उच्च गुणवत्ता वाली चीजें खराब परिवहन के चलते बाजार तक नहीं पहुंच पाती थीं। पांच काउंटियों में से चार गंभीर गरीबी में हुआ करते थे, जहां हॉटन-रुओकियांग रेलवे के साथ स्टेशन स्थित हैं।

रेलवे लाइन बनने के बाद आठ मालगाड़ियां शिनजियांग से कपास, अखरोट, लाल खजूर और खनिजों जैसी स्थानीय विशिष्ट वस्तुओं का परिवहन करने के लिए हर दिन चलती हैं। ऐसे में कह सकते हैं कि रेलवे ने रेगिस्तान में जीवन ला दिया है। साथ ही कच्चे तेल, कपास और अन्य संसाधनों को देश के अन्य हिस्सों में पहुंचाने में सक्षम बनाया है। तक्लामाकन रेगिस्तान को घेरने वाले रेल लूप की वजह से दक्षिणी शिनजियांग में स्वादिष्ट फलों और समृद्ध संसाधनों के आसान परिवहन ने जातीय समूहों के लोगों की जिंदगी में भी बदलाव किया। रेलवे के आने से क्षेत्र में और भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button